________________ and TRANARISANAMSANRARASHTRAM श्रीजयशेखरसूरिविरचितं श्रीनलदमयन्तीचरित्रम् SReserestoresentsBRARAN इति निचित्य वैदर्भी, दक्षिणस्यां वटदुमात् / / नलाक्षराणि नलवन्मन्यमाना चचाल सा॥३२६॥ अन्वय:- इति निश्चित्य नलाक्षराणि नलवत् मन्यमाना सा वैदर्भी वटदुमात् दक्षिणस्यां चचाल // 326 // विवरणम् :- इति एवं निश्चित्य निर्णयं कृत्वा नलस्य अक्षराणि शब्दा: नलाक्षराणिनलेन तुल्यं नलवत् मन्यमाना सा विदर्भाणामीश्वरः वैदर्भः वैदर्भस्य अपत्यं स्त्री वैदर्भी दमयन्तीवट एव तुम: बटमः तस्मात् वद्वमात् वटवृक्षात् दक्षिणस्यां विशायां चचाल अचलत् अचालीत् / अर्थात् विदर्भान् चचाला।३२६॥ सरलार्थ :- एवं निर्णयं कृत्वा दमयन्ती नलाक्षराणि नलवत् मन्यमाना वटवृक्षात् दक्षिणस्यां दिशावाम अचलत् / / अर्थात् विर्भान प्रत्यचलत्।।३२६॥ ગજરાતી :- એમ નિશ્ચય કરીને દમયંતી, નલરાજના અક્ષરોને નલરાજાની જેમ માનતી, વડના વૃક્ષથી જમણી તરફની દિશામાં याबाबी . // 326 // हिन्दी:- ऐसा निश्चय कर के वह दमयंती, नलराजा के अक्षरों को नलराजा के समान मानकर, वटवृक्ष की दक्षिण दिशा की ओर चलने लगी।३२६॥ मराठी: असा निश्चय करून ती दमयंती नलराजाच्या अक्षरांना नलराजा प्रमाणे समजून वटवृक्षाच्या दक्षिण बाजूने विदर्भ देशाकडे चालू लागली. // 326 // English :- So having decided and taking Nal's words as Nal himself saying it, she turned towards the right of the oak tree and walks along the path to her father's kingdom PP.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust