________________ MANOversaatrapoduissorseeश्रीजयशेखरसूरिविरचितं श्रीनलदमयन्तीचरित्रम् smsesBaggBii हिन्दी:- इस प्रकार जंगल में भटकती दमयंतीने खुद के वस्त्र के आंचल पर लिखे हुऐ अक्षरो को देखकर जैसे अपने पति का मिलाप ' नही हुआ हो वैसे आनंदित हो कर आँखे बडी कर के पढ़ने लगी॥३२२॥ मराठी:- याप्रमाणे वनात भटकत असतांना दमयंती स्वत:च्या वस्त्राच्या पदरावर लिहिलेली अक्षरे पाहन जसे जण आपल्या पतीची प्राप्ती झाल्याप्रमाणे आनंदित होऊन डोळे मोठे करून ती अक्षरे वाच लागली. // 322 / / English - Then as she was wandering about, she happened to see the message written on her garment. She was so overjoyed, as though she was having a meeting with her beloved and she read it with atmost concentration and with big eyes. अन्वय :- सा अचिन्तयत्-प्रिय: मां मुक्त्वा देहेन एव अगमत् किन्तु आदेशव्यपदेशेन मन: मदभ्यणे अमुचत् // 323 // विवरणम् :- सा दमयन्ती अचिन्तयत् व्यचारयत् / प्रिय: नल: मां मुक्त्वा त्यक्त्वा देहेन शरीरेण एव अगमत् अगच्छत् / किन्तु आदेशस्य व्यपदेश: व्याज: आदेशव्यपदेश: तेन आदेशव्यपदेशेन मन: हृदयं मम अभ्यर्ण मदभ्यणे तस्मिन् मवभ्यणे मत्समीपे अमुञ्चत् मुमोच // 323 // सरलार्य :- सा दमयन्ती व्यचारवत् - प्रिय: मां त्यक्त्वा शरीरेण एव अगच्छत्। किन्तु आदेशव्याजेन मन: मम समीपे अमुञ्चत् / / 323 / / ગુજરાતી:- પછી તે વિચારવા લાગી કે, મારા સ્વામી મને છોડીને ફકત શરીરથી જ દૂર થયા છે, આ લખેલી આશા પરથી લાગે છે કે તેમણે પોતાનું હદય તો મારી પાસે જ મૂક્યું છે..૩૨૩