________________ ISISTANTRASTROPRABORN श्रीजयशेखरसूरिविरचितं श्रीनलदमयन्तीचरित्रम् SAPNARABANARTNERSeeg - English - Then Damyanti appealing to the Goddesses of the forest asked them to see her forlorn plight and asks them to help her meet her husband or atleast show her the way he has taken. पक्कवालुबवत् पृथ्वि, स्फुट त्वत्कोटरे, यथा॥ प्रविश्य प्राप्य पातालं, येन प्राप्नोमि निर्वृतिम् // 319 // अन्वय :- पृथ्वि? पक्कवालुङ्गवत् स्फुट / यथा त्वत्कोटरे प्रविश्य पातालं प्राप्य येन निवृत्तिं प्राप्नोमि // 319 // विवरणम् :- रेपृथ्वि भूमे। पक्वश्चासौ वालश्च पववालुङ्गः / पक्कवालुङ्गेन तुल्यं पक्कवालक्षवत् स्फुट / यथा तव कोटरं उवरम् त्वत्कोटरं तस्मिन् त्वत्कोटरे तवोदरे प्रविश्य पातालं प्राप्य येन निर्वृतिं सुखं प्राप्नोमि॥३१९॥ सरलार्थ :- रे भूमे / पक्कवालुवत् स्फुट। यथा त्वत्कोटरे प्रविश्व पातालं प्राप्य निर्वृतिं प्राप्नोमि // 319|| ગજરાતી - અરે પથ્થીત પાકેલાં ચીભડાંની પેઠે ફાટી જા કે જેથી તારી કોતરમાં પ્રવેશી પાતાળમાં જ હું શાંતિ પામું.i૩૧૯ हिन्दी.. अरे पथ्वी त पके हए खरबुज के समान फट जा जिस से मै तुझ में प्रवेश कर के पाताल मे जा कर शांति प्राप्त कर // 319 // मराठी:- हे पृथ्वी / त् पिकलेल्या वाळकाप्रमाणे फुट्न जा? जेणे करून मी तुझ्या उदरात प्रवेश करून पातळात जाऊन शांति मिळवू शकेन. // 319|| English - Then Damyanti pleads to the earth to burst open as an over-riped musk-melon, so that she can enter it and stay in peace and harmony in the under world. एवं च विलपन्ती सा, बाष्पौधैः पतयालुभिः॥ कुल्याभ्यामिव दृष्टिभ्यां, सिञ्चतिस्म वनदुमान् // 320 // अन्वय :- एवं च विलपन्ती सा कुल्याभ्याम् इव दृष्टिभ्यां पतयालुभि: बाष्पौधैः वनदुमान् सिञ्चति स्म॥३२०॥ P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust