________________ NintenderSHAVश्रीजयशेखरसूरिविरचितं श्रीनलवप्रयन्तीचरित्रम् MARRESTERRANARASHTRASAIRAGeles हिन्दी:- अरे स्वामी ! आपने मेरा त्याग क्यों किया? क्या मैं आप के लिए भारी थी? क्या सर्प को अपनी काचली भी कहीं भारी - पडती है? // 317 // मराठी:- अरे स्वामी। तुम्ही माझा त्याग का केला? काय मी तुम्हाला जडझाली होती? कधी साला आपली कात भारी होते कावा // 17 // English - Then as she was weeping she asked her husband the reason for deserting her, was she a burden to him or does a snake ever feel that its slough is a burden to it? दीनाहं प्रार्थये युष्मान्, हंहो काननदेवताः॥ सध: प्रसघ भर्ता मे, दर्श्यतां तत्पथोऽथवा // 318 // अन्वय:- हहो काननषेवताः। अहं दीना युष्मान् प्रार्थये / मे प्रसघ सध: मे भर्ता वर्श्यतां अथवा तत्पथ: वर्क्ष्यताम् // 318 // जन विवरणम्:- होहम्भो। काननस्य देवता: काननदेवता: अहं दीना दु:खितायुष्मान प्रार्थये विज्ञापये। मे मयि प्रसधर्माय प्रसन्ना भूत्वा . सद्यः शीघ्रं झटिति मम भर्ता पति: वय॑ताम् अथवा तस्य नलस्य पन्थाः मार्गः तत्पथ: पीताम् // 318 // सरलार्य :- हम्भो वनदेवताः / अहं दीना युष्मान् प्रार्थये। मवि प्रसन्ना: भूत्वा सत्वरं पति: दर्यताम् अथवा नलस्य मार्ग: दर्यताम् // 3 VT ગજરાતી:- વનદેવીઓlહુદીન થઈને આપને પ્રાર્થના કરું છું કે, મારા પર કૃપા કરીને, તુરત મારા સ્વામીને દેખાડો અથવા મને તેમનો માર્ગ દેખાડોTi૩૧૮ हिन्दी:- हेवनदेवियों। मैं दीन होकर आपसे प्रार्थना करती हूँ कि मुझपर कृपा करके तुरंत मेरे स्वामी के दर्शन कराओ, अथवा मुझे उनका मार्ग दिखाओ। // 318 // मराठी:- हे वनदेवींनो। मी दीन होऊन तुमची प्रार्थना करते की माझ्यावर कृपा करून मला माझ्या स्वामीचे दर्शन या किंवा मला . त्यांचा मार्ग दाखवा. // 18 // NEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEET