________________ HEARNATAsiasasesee श्रीजयशेखरसूरिविरचितं श्रीनलदमयन्तीचरित्रम् )NepawadiseasesaARISITY Edit भीर प्रकृतिक्षीरवः तासां प्रकृतिकोकणा स्त्रीणां आषधि व धीरता भवेव कि? // 316 // सरलार्य :- तदनन्तरं दमयन्ती मुक्तकण्ठं रोदितुम् आरब्या प्रकृतिभीरूणां स्त्रीणां आपदि पेय भवेत् किम् // 316 // ગુજરાતી:- પછી તે દશાંતી એકદમ પોકાર કરીને રડવા લાગી, કેમ કે સ્વભાવથી જ બીકણ એવી રસીઓને સંકટ સબવે કેટલીક धी२०४२? // 16 // हिन्दी:- फिर दमयंती जोर से रोने लगी, क्योंकि स्वभाव से भीरु ऐसी स्त्रीयों को संकटसमय में कहां तक धीरज रहे?॥३१६॥ मराठी:- नंतर दमयंती जोराने रह लागली कारण हळव्या स्वभावाच्या स्त्रियांना संकटाच्या वेळी पर्व कसे असणार। // 31 // English :-Then Damyanti couldn't control her emotions and burst out crying, for how long can a soft-hearted woman have patience and keep her composure during a calamity and when is left in a lurch. हहा नाथ त्वया कि, त्यक्ता किं भारकृत्तव।। स्वनिर्भोक: कदापि ख्यात, सिम्मु ध्याशष्य योगिनः॥३१७॥ अन्धय :- हा नाथा त्वया अहं किम् त्यक्ता? किं आई लाक्ष मारकृत् / योगिनः स्वनिर्मोक: कयापि भाराय स्थात् किमु // 317 // विवरणम् :- हा खेदोहेनाथ। त्वया अहं किं त्यक्ता शुलता किं आईतवाधारं करोति शतिधारकृत् अभवम् / भोगः अस्य अस्ति इतिभोगी, तस्य भोगिनः सर्पस्थ स्वस्य नियोक: स्वनियोंक: किशुकषाविभाराव स्यात् // 317 // सरलार्य :- हहा नाथा त्ववा अहं किं त्यक्ता? किं तव भारत अवतम्। सर्पस्व कदापि स्वनिमांक: किमु भाराव स्वात्। वथा सर्पस्वतः निर्माक: धाराव न भवति। तथा पत्युः पतितताभार्या भाराव न भवति। अत: त्वं मां किममुञ्चः / / 317 // ગરાતી:- અરે સ્વામી આપે મારો શા માટે ત્યાગ કયો? શું હું આપને ભારે પડી હતી? શું સર્પને કોઇ પણ દિવસે કાંચળી ભાર કરનારી થામ છો? 3171 P.P.AC. Gunratnasuri M:S. Jun Gun Aaradhak Trust