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________________ REPARHAIRSINHereutzerse श्रीजयशेखरसूरिविरचितं श्रीनलदमयन्तीचरित्रम् dodaseedseasestassessNEYA न Prerana अब यत्पसिला प्रसूता सवियोग: विखारभूत् // __ स्थप्नेनानन जाने ई, कुर्लभं प्रियदर्शनम् // 31 // ... अन्धय:- अहं यत् धूतात् पतितास नियाद वियोग: अभूता अनेन स्वप्नेन आई जाने प्रियदर्शन पुलमा अस्ति॥३१५॥ विवरणम :- आई यत् यस्माद धूताव आमवृक्षात् पतिता तत् तेन प्रियाव नलात वियोग: अभूत अभवत अनेन स्वप्नेन अहं जाने प्रियस्य दर्शनं प्रियदर्शनं युःखेन लभ्यते इति दुर्लभम् अस्ति // 31 // सरलार्य :- अहं वत् आम्रवृक्षात् पतिता तेन प्रियात वियोग: अभवत्। अनेन स्वप्नेन अहं जानामि प्रियदर्शन दुर्लभम् अस्ति।।३१७|| ગુજરાતી - વળી હું જે વૃક્ષથી પડી, તે સ્વામીથી શ્વારો વિયોગો , આ સ્વપ્નથી હું એક અનુમાન કરું છું કે, હવે ધારા | सामील छे.॥३१॥ . हिन्दी:-' और जो आमवेम से.मैं नीचे गिरी वह स्वामी से मेरा वियोग था। इस स्वप्न से मै ऐसा अनुमान करती हैं, कि अब मेरे स्वामी का दर्शन हो दम है॥३१५॥ मराठी:-आणि मी आम्रवृक्षामनाली पहली, तो माथा स्वामींचा वियोग आहे. या स्वप्नावरून मला असे वाटते की, आता माझ्या स्वामीचे दर्शन दुर्लभ आहे. // 31 // English: She then says her all theant, her seperation from her husband, and the dream meant, that it would be difficult to dequire and audience with her husband again. PERMERIEEEE DAR ... ततो रोदितुमारल्या, भुक्तकण्ठं विवर्भजा। स्त्रीणां प्रकृतिभीरूलां, भवेद्बयं किमापदि // 316 // अन्यथ:- ततः विष्र्धजा मुक्तकण्ठं रोवितुम् आरब्धा / प्रकृतिमीरूणां स्त्रीणां आपदि धैर्य भवेत् किम // 31 // विवरणम् :- ततः तदनन्तरं विदर्भमादमयन्ती मुक्त: कन्ठः यस्मिन् कर्मणि यथा स्थात् तवामुक्तकण्ठ रोवितम् आरब्धा / प्रकृत्या םפםפםפםפםפם
SR No.036462
Book TitleNal Damayanti Charitrayam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayshekharsuri, Sarvodaysagar
PublisherCharitraratna Foundation Charitable Trust
Publication Year
Total Pages915
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size93 MB
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