________________ MONGRAHASRANAGANRS श्रीणयशेखरसूरिविरचितं श्रीनलषमयन्तीचरिश्रम् shasavagestorest हिन्दी :- इसप्रकार अनेक विकल्पो से व्याकुल होकर दमयंती चारों दिशाओं की ओर देखने लगी। फिर भी अपने स्वामी को न पाकर उस स्थान का विचार करने लगी॥३१२॥ मराठी:- याप्रमाणे अनेक विकल्पाच्या समूहामुळे याबरलेली दमयंती चारही दिशाकडे पाहू लागली. पण आपला स्वामी नलराजान दिसल्यामुळे ती त्या स्वप्नाच्या अर्थाचा विचार करू लागली. // 312|| English :- In this way Damyanti experienced fright with all such ambiguious doubts and kept looking around in all directions. But after a continuous vainful search she sat thinking about the meaning of her dream. पुत्रपुष्पफलैराख्यो, यश्चूत: स नलो नृपः॥ स राज्यसुखसंभोगो, यत्फलास्वादनं मम॥३१॥ अन्वय :- पत्रपुष्पफलैः आढय: य: चूत:स नलनृपः। यत् मम फलास्वादनं स: राज्यसुखसम्भोग: अस्ति // 31 // विवरणम् :- पत्राणि च पुष्पाणि च फलानि च पत्रपुष्पफलानि तैः पत्रपुष्पफलै: आढय: युक्त: य: चूत: आम्रवृक्ष: स: नलनृपः। यत् मम फलस्य आस्वावनं फलास्वावनं स: राज्यस्य सुखं राज्यसुखी राज्यसुखस्य सम्भोग: राज्यसुखसम्भोगः अस्ति // 343 // . सरलार्य :- पत्रपुष्पफले: युकः वः आम्रवृक्षः स नलनृपः अस्ति / यत् मम फलास्वादनं स: राज्यसुखसम्भोगः अस्ति / / 3 / / ગુજરાતી :-પત્રો, પુષ્પો તથા ફળોથી યુકત આપવૃક્ષ, તેનલરાજ અને તેના ફળોનો જ મેં સ્વાદ લીધો તે રાજ્યસુખનો ભોગવટો આગવો.ll૩૧૩ हिन्दी:- पत्तों, फुलों, तथा फलों से युक्त वह आम्रवृक्ष जैसेनलराजा है, और उन फलो काजोस्वाद मैन लियावह राजसुख का भोग समझो। // 31 // NEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEP