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________________ ARNEGISTRANBarendrseogarg श्रीजयशेखरसूरिविरचितं श्रीनलदमयन्तीचरित्रम् RessagesertsRUSHTRANSAR Cr हिन्दी:- परंतु उसी समय कोई जंगली हाथी ने आकर उस आमके वृक्ष को जड सहित उखाड फेंका। जिस से पके हुए आम की तरह पलभर में मैं वक्षपर से जमीन पर गिर पडी // 305 // मराठी:- परंतु त्याच वेळी एक जंगली हत्ती तेथे आला व त्याने आंब्याच्या झाडाला मुळासकट उपट्न टाकले. त्यामुळे पिकलेल्या फळाप्रमाणे क्षणभरांत मी झाडावरून खाली पडले. // 30 // English :- But at that time a wild elephant arrived there and uprooted the mango tree and Damyanti fell off the tree like a over-riped mango, in no time. अथ जागरिता भैमी, पुरोऽनालोक्य नैषधिम॥ यूथभ्रष्टा कुरङ्गीव, दिश: पश्यन्त्यचिन्तयत् // 306 // अन्यय :- अथ भैमी जागरिता पुरः नैषधिम् अनालोक्य यूथभ्रष्टा कुरजीव विश: पश्यन्ती अचिन्तयत् // 30 // विवरणम:- अथ श्रीमस्य अपत्यं स्त्री भैमी दमयन्ती जागरिता प्रबुध्दा। पुरः अग्रत: निषधस्य अपत्यं नैषधिः तं नैवधि नलम् न आलोक्य अनालोक्य यूथात् समूहात भ्रष्टायूथभ्रष्टा कुखी इवमृगीव दिश: पश्यन्ती निरीक्षमाणाअचिन्तयतव्यचारयत // 30 // सरलार्य :- अथ दमवन्ती जागरिता पुरत: नलम् अनालोक्य वृधभ्रष्टा मृगीव दिश: पश्यन्ती व्यचारवत् / वदा दमवन्दी जागरिता अभवत्। तदा सा पुरः नलं न अपश्यत्। तेन सा धात् भ्रष्टा मृगी इव व्याकुला भूत्वा इतस्तत: दिशः अवलोक्य व्यचिन्तयत्।।३०६॥ ગુજરાતી - હવે નિદ્રામાંથી જાગેલી દમયંતી (પોતાની પાસે નલને ન જેવાથી ટોળામાંથી વિખૂટી પડેલી હરિણી પેઠે ચારે દિશાઓ તાતી વિચારવા લાગી કે, ૩૦દા हिन्दी :- तब निद्रासे जागी हुई दमयंतीने अपने पास नल को न पाकर झुंड मे से बिछडी हुई हरिणी के समान चारो दिशाओ की ओर देखते हुए सोचने लगी, // 306 // FREEEEEEEEEEEEEEEEEELESELF I
SR No.036462
Book TitleNal Damayanti Charitrayam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayshekharsuri, Sarvodaysagar
PublisherCharitraratna Foundation Charitable Trust
Publication Year
Total Pages915
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size93 MB
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