________________ DONTARose श्रीजयशेखरसूरिविरचितं श्रीनलदमयन्तीचरित्रम् auspresso NEP . इत्यात्मानमधिक्षिप्य, बध्ध्वा मूर्ध्नि कराञ्जलिम्॥ पत्न्या: सहायकं कर्तुं, सोऽभ्यधावनदेवताः॥२८५॥ अन्यय :- इति आत्मानम् अधिक्षिप्य पत्न्या: सहायकं कर्तुं कराञ्जलिं मूर्ध्नि बध्वा स: वनदेवता: अभ्यधात् // 285 // विवरणम् :- इति एवम् आत्मानम् अधिक्षिप्य तिरस्कृत्य पत्न्या: दमयन्त्याः सहायकं कर्तुं करयो: अअलि: कराञ्जलि: तं कराअलिं मूर्ध्नि मस्तके बध्वा: स: वनस्य देवता: वनदेवता: अभ्यधात् अवदत् // 285 // सरलार्य :- एवम् आत्मानं तिरस्कृत्व पत्न्या: दमयन्त्याः सहायकं कर्तुं कराञ्जलिं ललाटे बन्दवा स: वनदेवताः अवदत् / / 285 / / ગુજરાતી:- એ રીતે પોતાના આત્માનો તિરસ્કાર કરીને, તથા મસ્તક પર બન્ને હાથ જોડીને, નારાજ (પોતાની) પત્નીને સહાય કરવા માટે વનદેવીઓને કહેવા લાગ્યો કે, ૨૮પા हिन्दी :- इस प्रकार अपनी आत्मा का तिरस्कार कर, और मस्तक पर दो हाथ जोडकर नलराजा अपनी पत्नी की सहायता के लिये वनदेवीयों से कहने लगा कि, // 285 // 5 55555 मराठी:- अशाप्रकारे स्वत:चा तिरस्कार करून मस्तकावर दोन्ही हाथ जोहन तो नलराजा स्वत:च्या पत्नीच्या मदती करिता वनदेवीना असे म्हणाला-11२८५|| English :- Nal disdains his soul and keeping his hand on his forhead he appeals to the Goddess of the forest to protect his wife Damyanti. PalpaSuvomgawgadugdispowgoodDANA PP.AC.Gunratnasuri M.S. 255 PRASAugusmauspeedRROSHANGRESS Jun Gun Aaradhak Trust