________________ INHARASADARPANANTHAN श्रीजयशेखरसूरिविरचितं श्रीनलदमयन्तीचरित्रम् ARTSAPTSAPTSHATRAPARIYA Korr हिन्दी:- अरे! थकान से पीडित इस दमयंती को तुम सब क्यों संतापित करते हो? उनके घाव पर तुम नमक क्यों डालते हो और दु:खित दमयंती के प्रति तुम क्यों निर्दय बनते हो? // 249 // मराठी :- अरे! श्रमाने पीडलेल्या दमयन्तीला तुम्ही वेवे कां पीडा देत आहात. जखमेवर मीठ का टाकत आहात. संकटात निर्दय का होत आहात. // 249|| English :- He then asked as to why they (sun, ground, road) are harrassing the forlorn Damyanti and why are they being so harsh and tyranical to the delicate Damyanti. किम् मेघ मेघातपत्रं धत्से न संप्रति॥ स्वाजन्यावसरोऽयं हीत्युपालभत तान्नलः॥त्रिभिर्विशेषक।२५०॥ घ अन्वय :- हे मेघ! सम्प्रति मेघातपत्रं किं न धत्से। अयं स्वाजन्यावसरः / हि नल: तान् उपालभत॥ विवरणम् :- मेघ/ जलय! सम्प्रति साम्प्रतं आतपात् प्रायते इति आतपत्रं छत्रम्। मेघः एव आतपात्रं मेधातपत्रं किं न धत्से / धारयसि। अयं स्वश्चासौजनश्च स्वजन: स्वजनस्य भावःस्वाजन्यं स्वाजन्यस्य अवसर: स्वाजन्यावसरः। स्वजनताया: अवसरः अस्ति इति नल: तान् उपालभत // 250 // भर सरलार्थ :- हे वारिदा साम्प्रतं मेघातपत्रं किं न पसे / अयं स्वजनताया: अवसरः अस्ति इति नलः तान् उपालभत // 250 / / 'ગુજરાતી :- અરે મેઘાતુ આ સમયે મેઘાડંબરરૂપ છત્રને દમયંતી પર કેમ ધારણ કરતો નથી? ખરેખર સજજનપણું દેખાડવાનો આ અવસર છે, એ રીતે નલરાજ તેઓને ઉપાલંભ આપવા લાગ્યો. 250 प हिन्दी:- अरे मेघ ! तू इस समय मेघाडंबररूप छत्र को दमयंती पर क्यों धारण नही करता? सचमुच सज्जनता दिखाने का यही समय है, इस प्रकार नलराजा उनको उपालंभ देने लगा।॥२५०॥ P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust