________________ PREsocrasangreprodeepiv श्रीनयशेखरसूरिविरचितं श्रीनलदमयन्तीचरित्रम userseersewhesawareneursery नलोऽवादीदरे कोऽत्र, पयोवाही नियोगिषु॥ सुगन्धिसरसस्वच्छपयस्कुरकमानय // 237 // अन्यय :- नल: अवादीत् अरे। नियोगिषु पयोवाही क: अत्र? सुगन्धिसरसस्वच्छपयस्कुरकम् आनय // 237 // विवरणम् :- नल: अवादीत् अवदत् - अरे। नियोगिषु दूतेषु पय: वहति इत्येवं शील: पयोवाही जलवाहक को अन? सुगन्धि च तत् सरसं च तत् स्वच्छंच तत् पयः च सुगन्धिसरसस्वच्छपयः सुगन्धिसरसस्वच्छपयस: कुरकं पात्रं सुगन्धिसरसस्वच्छपयस्कुरकम् आनय // 237 // ગુજરાતી - ત્યારે નલરાજા બોલ્યો કે, અરે નોકરીમાંથી જળ લાવનાર અહીં કોણ હાજર છે? સુગંધી, સરસ તથા નિર્બલ જલની आशापो? // 2390 हिन्दी :- तब नलराजा ने कहा कि, "अरे / नौकरो में से जल लानेवाला यहाँ कोई हाजीर है? सुगंधि, अच्छे और निर्मल जल की झारी लावो?" // 237 // मराठी :- तेव्हा नलराजा म्हणाला की, "अरे। नौकरामएन पाणी आणणारा इथे कोणी उपस्थित आहे काय? सुगंपि, छान, आणि निर्मल पाण्याची झारी आणा?" ||237|| English :- At this King Nal said that anyone from among the servants should bring some scented fine and sweet water in a pitcher. क्षणं स्थित्वा पुरो वीक्ष्या पार्श्वत: पृष्ठतोऽपि च // सर्वत: शून्यमालोक्य / ब्रीडयाऽधोमुखोऽभवत् // 238 // अन्वय :- क्षणं स्थित्वा पुरे, पार्श्वत: पृष्ठत: सर्वत: वीक्ष्य अपि च शून्यम् आलोक्य वीडया अधोमुख: अभवत् // 238 //