________________ Asangasanasenge श्रीजयशेखरसूरिविरचितं श्रीनलदमयन्तीयरित्रमा a aslesed हिन्दी.. फिर उनके पाणिग्रहण का (विवाह का) समय जैसे याद आता हो। उसी प्रकार वे खुद के हाथ में दमयंती का हाथ पकडकर वन में भ्रमण करने लगा।॥२३२|| मराठी:- मंतर दमयन्तीच्या विवाह सोहळ्याची जण काय आठवण करून देत तो नलराजा स्वत:च्या हाताने दमयंतीचा हाप परून वनात भ्रमण करू लागला. // 232|| .. English - Then Nal caught Damyanti's hand and walked ahead in to forest and remembered the wedding day when he had caught her hand and walked around the fire. .... .. दर्भाग्रभिन्ना वैदर्भी, पदो: शोणितलाञ्छिता॥ सालक्तकपदांकेव, वासभूवनभूरभूत् // 233 // अन्यय:- पर्भाग्रभिन्ना पदो: शोणितलाञ्छिता वैदर्भी सालक्तपदावेव वनभूः वासभूः अभूत् // 23 // विवरणम :- दर्भस्य अग्राणि दर्भाग्राणि दर्भायै; भिन्ना दर्भाग्रभिन्ना। पदोः पादयोः शोणितेन रक्तेन लाञ्छिता शोणितलाञ्छिता विदर्भाणाम् ईश्वरः वैदर्भ:। वैदर्भस्य अपत्यं स्त्री वैदर्भी। अलक्तेन सह वर्तेते इति सालक्तकौ। सालक्तकौ च तौ पदीच सालक्तकपदौ। सालक्तकपदयोः अङ्का: चिनानि यस्यां सा सालक्तकपदाका वनस्य भूः वनभूः इव वासस्य वासाय वा भू:वासभूः अभूत् अभवत् बभूव // 233 // सरलार्थ :- कुशायभिन्ना पादयोः रक्तचिह्निता दमयन्ती सालक्तकपदाका वनभः इव वासभः अभवत् // 233|| ગજરાતી:- ઘાસની તીણ આણીઓથી વીંધાયેલી, અને તેથી બન્ને પગમાંથી નીકળતા રુધિરથી ખરડાયેલી, દમયંતી જાણે પગ પર લાલ રંગ લગાડ્યો ન હોય! એવી, તથા વનભૂમિરૂપી આવાસભુવનવાળી બની. 233 हिन्दी:- दर्भ की तीक्ष्ण नोक से घायल और दोनों पैर में से निकलते रूधिर से रंजित दमयंती ने जैसे पैरों पर अलत का लाल रंग लगा दिया हो ! ऐसे वनभूमिरूपी आवासभुवनवाली हो गयी // 233 / /