________________ W ednesdakiestatuesdarshekdee श्रीजयशेखरसूरिविरचितं श्रीनलदमयन्तीचरित्रम् shuigavtageideredashesisduniy हिन्दी :- फिर नलराजा रथ से उतर कर हाथी जैसे अपनी सूंड उपर करता है वैसे ही तलवार को सज्ज करते हुए उन भिल्लों को मारने की इच्छा से उनके साथ युध्द करने लगा॥२२५॥ मराठी:: नंतर नलराजा रथावरून उतरून सोंड वर केलेल्या हत्तीप्रमाणे तलवारीला सज्ज करून त्या भिल्ल लोकांना मारण्याच्या 'इच्छेने त्यांच्या सोबत युप्द करू लागला. // 22 // English :- Then King Nal alighted from the chariot. And just as an elephant lifts up his trunk, in the same way, Nal drew his sword from the scabbard and occilated it. And started to fight with them. वैदय॑थरथं हित्वा / पाणौ धृत्वाभ्यधान्नलम्॥ देव कोऽयं तवास्थाने। संरम्भो मशका ह्यमी // 226 // अन्वय:- अथ वैदर्भी रथं हित्वा नलं पाणौ धृत्वा अभ्यधात्-हे देव! तव अस्थाने अयं क: संरम्भ:। अमी हिमशका: सन्ति।। विवरणम् :- अथ वैदर्भस्य इयं वैदर्भी दमयन्ती रथं स्यन्दनं हित्वा त्यक्त्वा नलं पाणौ करे धृत्वा अभ्यधात् अवदत् हे देवा तव अस्थाने अनुचितस्थाने अयं क: संरम्भ: आवेश: अमी हिमशका: मशकतुल्या: वर्तन्ते।।२२६॥ सरलार्य :- अथ दमयन्ती रथात् उत्तीर्य नलं हस्ते पृत्वा अवदत्-हे देव। तव अनुचितस्थाने अयं क: आवेशः। अमी भिल्ला: मशकतुल्याः वर्तन्ते / / 226 // ગુજરાતી :- (ત્યારે) દયમતી રથમાંથી ઉતરીને નલરાજાનો હાથ ઝાલીને તેને કહેવા લાગી કે, તે સ્વામી! આ અયોગ્ય પ્રકારનો संपामयाभाटे भाइयों छ? भालीहोतोभ७२ नेपाछ.॥२२६॥ हिन्दी :- तब दमयंती रथ से उतर कर नलराजा को कहने लगी कि, "हे स्वामी ! इस अयोग्य प्रकार के संग्राम का आरंभ क्यों कर रहे हो? क्योंकि यह भिल्ल तो केवल मच्छर जैसे है।" // 226 / /