________________ REPearineetirst श्रीजयशेखरसूरिविरक्षितं श्रीनलषमयन्तीचरित्रम् APRINCReversale e l विवरणम् :- दूतात् दूतमुखात् सन्देशवाहकात् तद् अहङ्कारेण दुर्धरम् अहङ्कारदुर्धरमा कदम्बेन उक्तं कथितं कदम्बोक्तं, श्रुत्वा आकर्ण्य युद्धाय श्रद्धालव: युद्धश्रद्धालव: युद्धश्रद्धालव: सैनिका: यस्य स:युलश्रद्धालुसैनिक: नल: संवर्मयामास।सन्नद्धः अभवत् // 143 // सरलार्थ :- दतमुखात् तद् अहङ्कारदुर्घरं कदम्बेन कथितं निशम्य युब्बश्रदालुसैनिक: नल: संवर्मयामास / / 143|| ગુજરાતી :- પછી દૂતના મુખથી અહંકારના આવેશવાળા તે કદંબરાજાના વચન સાંભળીને, યુદ્ધ માટે શ્રદ્ધાવાળા સૈનિકો સાથે નલરાજા બખ્તર પહેરીને તૈયાર થયો. 143. हिन्दी :- फिर दूत के मुख से कदम्ब राजा के अहंकारयुक्त, दुर्धर क्रोधित कदंबराजा के वचन सुनते ही, युद्ध के लिए हमेशा तैयार / रहनेवाले सैनिको के साथ नलराजा बख्तर पहन कर तैयार हो गया॥१४३॥ मराठी:- दताच्या मुखातून अहंकाराने व घमेंडीने ओतप्रोत भरलेले कदम्बाचे वचन ऐकून ज्याचे सैन्य नेहमी युद्ध करण्यासाठी सज्ज व उत्सुक असते. अशा त्या नलराजाने अंगावर चिलखत चढविले. // 143 / / English: Then King Kadam told King Nal through the messenger that he was a haughty, egotist, and an inaccesssible king, So having heard such vainful words of King Kadam, King Nal put on hs armour and got prepared for a war. कदम्बोऽप्यभ्यमैत्रीण:, सन्नह्य समभूहिः॥ त्रिपृष्टे द्वारमायाते, सिंहवगिरिकन्दरात् // 144 // अन्वय :- अभ्यमैत्रीण: कदम्ब: अपि सन्नाह्य त्रिपृष्टे द्वारम् आयाते गिरिकन्दरात् सिंहवन बहिः समभूत् // 14 // विवरणम् :- अमित्रम् अभियान् अभ्यमैत्रीण: कदम्ब: अपि सन्नह्य सज्नीभूय त्रिपृष्टे वासुदेवे द्वारम् आगते सति सिंह: यथा गिरेः कन्दरात गुहाया: बहि: निर्गच्छति तथा सः अपि, कदम्ब: अपि बहिः समभूत् बहिः निरगच्छत् // 14 // EARELESEEEEEEEEEEEEE BAER