________________ eHOROLARIBINGadavaade श्रीजयशेवरसरिविरचितं श्रीनलदमयन्तीचरित्रम davonouryopdessagesandasands det E ESE 55 ततो राजा सपाहूय, दूतं वाग्मिनमुद्धतं // अनुशिष्य महाटोपं, नि:सृष्टार्थो विसृष्टवान् // 12 // अन्वय :- तत: नि: सृष्टार्थो, राजा वाग्मिनम् उद्धतं महाटोपं दूतं समाहूय अनुशिष्य विसृष्टवान् // 12 // विवरणम् :- तत: तदनन्तरं निःसृष्टः साधित: अर्थ: येन सः नि:सृष्टार्थः साधितकार्य: राजा वाग्मिनं वाचालं उद्धतं साहसिकं महाटोपं महाडम्बरं दूतं समाहूय आकार्य अनुशिष्य अवबोध्य विसृष्टवान् प्राहिणोत् // 123 // सरलार्थ :- ततः नि:सृष्टाः राजा नल: वाचालं उदतं महाटोपं तं समाकार्य अनुशिष्य विमुक्तवान् / / 123 // ગુજરાતી:- પછી કાર્ય સાધવામાં નિપૂણ એવા નલરાએ વાચાળ, ઉદ્ધત તથા મહા આડંબરવાલા (એક) દૂતને બોલાવી તેને શિખામણ આપીને (તે રાજા પાસે) મોકલ્યો. 123. हिन्दी:- फिर नलराजा ने जिसने अपना कार्य साधा है, एक वाचाल, उद्धत और महान आडंबरवाले (एक) दूतको बुलाकर और उसे शिक्षा देकर (उस राजाके पास) मेजा // 123|| मराठी :- नंतर ज्याने आपले कार्य सापले आहे अश्या नलराजाने वाचाळ, उबट आणि महान आडंबर असणान्या एका दृताला बोलावून आणि त्याला शिक्षण देऊन त्या राजाकडे पाठविले. // 12 // English :- So having decided on what he has to do, King Nal send a garrulous in (talkative) valiant and a glamourous messenger to the king after explaining to him what is to be said. दूतस्तक्षशिलांगत्वा, कदंबनपतिं ततः॥ एवं स्वस्वामिसंदिष्टं, सावष्टंभोऽनुशिष्टवान् // 124 // अन्वय :: तत: दूत: तक्षशिलां गत्वा कदम्बनृपतिं सावष्टम्भ: स्वस्वामिसंदिष्टम् अनुशिष्टवान् // 12 // P.P.AC.Gunratnasuri M.S.