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________________ Extensaveragenesis श्रीजयशेखरसूरिविरचितं श्रीनलदमयन्तीचरित्रम् SRVARIANTARRAIPRASARAMATA ॐ हिन्दी :- (फिर) किसी समय वे दोनो (परस्पर) शर्त लगाकर कौतुकपूर्वक पासोंसे द्यूत (जुआ) खेलते थे तो फिर किसी समय मनोहर काव्यों की रचना से एकदूसरे का वर्णन करते थे॥११०॥ मराठी:- (नंतर) ते दोघे केव्हा केव्हा परस्पर शर्यत लावून कौतुकाने यत खेळत होते, तर कधी कधी मनोहर काव्यांची रचना करून परस्परांचे वर्णन करीत होते. // 11 // English - Then for sometime they had a competion on playing the game of dice and played it with great suprise and curiousity. Then they would compose beautiful poetries on each other. कदाचिच्चारुचारीकमेकांते शस्तहस्तकं॥ अनर्तयन्नलो भैमी, स्वयं वाद्यानि वादयन् // 11 // अन्वय :- कदाचित् नल: एकान्ते स्वयं वाधानि वादयन् चारुचारीकं शस्तहस्तकं नृत्यं भैमीम् अनर्तयत् // 11 // विवरणम् :- कदाचित् नल: एकान्ते रहसि स्वयं वाघानि आतोधानि वादयन् चारु: सुन्दरा। चारी गति: यस्मिन् तत् चारुचारीकं मनोहरगतिकं, शस्त: प्रशस्त: हस्तक: हस्तस्य हावभाव: यस्मिन् तत् शस्तहस्तकं प्रशस्तहस्तहावभावयुक्तं नृत्यं भीमस्य अपत्यं स्त्री भैमी तां भैमी दमयन्तीम् अनर्तयत् / भैम्या मनोहरगतिकं प्रशस्तहावभावयुक्तं नृत्यमकारयत् // 14 // सरलार्थ :- कदाचित् नल: एकान्ते सुन्दरगतिकं प्रशस्तहावभावयुक्तं नृत्यं दमयन्तीम् अनर्तयत् / / 111 // Sત્ર ગુજરાતી :- કોઈ વખતે નવરા એકાંતમાં પોતે વાંજિત્રો વગાડતો અને મનોહર ચાલવાળું તથા ઉત્તમ પ્રકારના હાથોના હાવભાવવાળું નૃત્ય દમયંતીને કરાવતો હતો. 111 हिन्दी :- किसी समय नलराजा एकांतमे स्वयं वाद्य बजाते थे और उत्तम प्रकार के हाथो के हावभाव द्वारा दमयंती से नृत्य कराते थे // 111 // SEEEEEEEEEE
SR No.036462
Book TitleNal Damayanti Charitrayam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayshekharsuri, Sarvodaysagar
PublisherCharitraratna Foundation Charitable Trust
Publication Year
Total Pages915
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size93 MB
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