________________ ONassereeRASHAIN श्रीजयशेखरसूरिविरचितं श्रीनलदमयन्तीचरित्रम् PRASANSTIPASHASANTPSINHATSANY सरलार्थ :- भीमरचनृपः जामांतरं नलनृपं सन्मान्य किश्चिद अन्वव्रजत् / प्रयाणं कुर्वती दमयन्ती माता प्रेम्णा अन्वशात् उपादिशत् / ગુજરાતી :- ભીમરથરાજાએ પોતાના જમાઈ નલરાજાનું સન્માન કર્યું ને થોડેક સુધી (તેની પાછળ) તેને મૂકવા ગયો. તે વખતે સાસરે જતી દમયંતીને તેની માતાએ પ્રેમથી આ પ્રમાણે શિખામણ આપી. 87aa. हिन्दी :- भीमरथराजाने अपने दामाद नलराजा का सत्कार कर कुछ दूरी तक उनको छोडने गए। उस समय ससुराल जाती हुई पुत्री दमयंती को उसकी माता ने प्रेम से उपदेश दिया / / 87 / / मराठी:- भीमरथराजाने आपल्या जावई नलराजाचा सत्कार करून त्याच्या सोबत थोड्या अंतरापर्यंत गेला. तेव्हा सासरी जात असलेल्या दमयंतीला आईने प्रेमाने उपदेश केला. / / 87|| English :- Bhimrath went along, to leave his son-in-law and daughter for a few-miles, when Damyanti's mother gave her daughter few words of advice, with utmost love. NEES . मास्म निंद: परं पुत्रि, विनीता स्या: प्रियं वदेः॥ - देहच्छायेव मात्याक्षी - र्व्यसनेऽपि पतिं निजं // 88 // अन्वय :- हे पुत्रि! परं मास्म निन्देः। विनीता स्या: प्रियं वदे: निजं पतिं व्यसने अपि देहछाया इव मा अत्याक्षी: // 8 // विवरणम् :- हे पुत्रि! परं अन्यं मा निन्दः। विनीता विनम्रा स्याः। प्रियं मनोहरं वदेः / निजं स्वं पतिं व्यसने दु:खे अपि देहस्य शरीरस्य छाया देहच्छाया इव मा अत्याक्षी: मा त्यज // 8 // सरलार्थ :- हे पुत्रि ! परं मा निन्देः / विनीता स्वा: / प्रियं वदेः / निजं पतिं दुःखे अपि देहच्छाया इव मा अत्याक्षीः / / 88 // ગુજરાતી:- “હે પુત્રી!પનિંદા ન કરતી, વિનીત થઈને રહેજે, પ્રિય વચન બોલજે તથા દુ:ખના સમયે પણ શરીરની છાયાની पेठे २वीवाभीनो त्यागशथनलि."॥४८॥ KhandevanauspeamSARDSIBRARTRIBPS83 P.P.AC.Gunratnasuri M.S. mpuspecAARADASAWRITERAasuspmumRCOS Jun Gun Aaradhak Trust