________________ सन्धि 2 1. राजाकी उद्यान क्रीडा - उस कलहंसगामिनी शुद्ध सती पृथ्वी देवीको विवाहकर नृपति नूपुरधारिणी अन्तःपुरको ललनाओं सहित उद्यानको गया जहाँ वृक्ष समूह कुसुमित हो गये थे। लीलापूर्वक अलसाती हुई गजगामिनी कामिनियोंने आभूषण धारण किये। वे उद्यानके पुष्पपुंजोंके परागसे लिप्त हो गयीं और उन्होंने शल्यको पुष्पोंकी मेखलाएं कटिभागपर बाँध ली। एकने भौंरेको अपने केशोंमें छिपा लिया, तो दूसरीने कमलपर बैठे हुए भौंरेको दिखलाया। एक प्रिया जलके भ्रमणको देखने लगी, तो दूसरी अपनी ही नाभिके रन्ध्रकी ओर दृष्टि लगाकर खड़ी हो गयो / अन्य एकने चलते हुए हंससे कहा-अरे तूने मेरे गति-विलासको कहाँसे सीख लिया ? अन्य एकने मयूर पंख धारण किया मानो मदनके बाणका पत्र स्फुरायमान हो उठा हो / अन्य एक कहने लगी-यह शुक आम्रवृक्षको पुष्पमंजरीसे लगकर भी मरा नहीं। एक अन्यने अपने मधुर शब्दों द्वारा कूकती हुई कोकिलको लज्जित कर दिया। अन्य एकने अपने नेत्र-पक्ष्मोंका ऐसा प्रसार किया जैसे मानो वह विशाल पक्ष्मोंवाली उस स्थलका प्रमाण ही कह रही हो। इस प्रकार जब शत्रुओंकी राज्यश्रीका अपहरण करनेवाले पृथ्वोपाल जयंधर सरोवरमें जल क्रीडा कर रहे थे, तब नये कमल-नाल सदृश कोमल भुजाओंवाली श्रीवर्मकी पुत्री ( रानी विशालनेत्रा) अपने प्रिय पतिके पास जाने लगी॥१॥ 2. रानीको उद्यान यात्रा और पृथ्वीदेवीका विद्वेष पृथ्वीदेवीने देखा कि मार्गमें सहस्रों विमान बड़ी शोभाको धारण किये जा रहे हैं। जगमगाते खड्ग, भाले आदि आयुध चमचमा रहे हैं। घोड़ोंके समूह जल्दी-जल्दी चल रहे हैं, जबकि हाथियोंके पुंज अपनी मन्थर गतिसे चलते हुए मदजल झरा रहे हैं। श्वेत और हरित छत्र धारण किये गये हैं। ध्वजाएं फहरा रही हैं, चमर डुल रहे हैं, और भुवनतलको पूरित करनेवाले तूर्य , बज रहे हैं। मदनको जागृत करनेवाली शृंगारपूर्ण लाखों ललनाएं चल रही हैं / इस वैभवपूर्ण शोभायात्राको देखकर पृथ्वीदेवी आश्चर्यचकित हो गयो। उसने अपनी एक सखीसे पूछा-यह राज्यश्री किसकी है ? दानवको, मनुष्यको या लक्ष्मी सहायक विष्णुकी, राजाकी या नागको ? P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust