________________ 1. 13. 10 ] हिन्दी अनुवाद खण्डन किया है। आप क्षमा, दम, शम और यमादि गुणोंके समहोंके निधान हैं, गगनतलके गौरव तथा भुवनतलके तिलक हैं। जय हो आपको जो गुणरूपी मणियोंकी निधि हैं, और हर्ष रहित अर्थात् वीतराग हैं / हे परमपुरुष जिनेन्द्र, आपको जय हो, जय हो। . जहाँ न निद्रा है, न भूख, न भोगोंको अभिलाषा, और न पंचेन्द्रियोंका सुख. तथा जहाँ कहीं स्त्रोका मुख नहीं दिखाई देता, ऐसे उस देश अर्थात् मुक्ति लोकमें मुझे शीघ्र ले चलिए // 11 // 12. परमेष्ठीका प्रवचन और श्रेणिक राजाका प्रश्न / जिनेन्द्रके दर्शनसे नरेश सन्तुष्ट हुआ और मुनियोंकी वन्दना कर वह मनुष्योंके कोठेमें बैठ गया। परमेष्ठीकी दिव्यवाणी निकली जिसमें राजाने पंच अस्तिकाय, पाँच मुनिव्रत, पाँच गृहस्थोंके अणुव्रत, पांच गति, पाँच समिति, तीन गुप्ति, तीन रत्न, तीन शल्य, तीन गारव, दशविध धर्म, षड् जीवकाय, चतुर्विध कषाय, नव नोकषाय, तथा निरन्तर दुःसह व्रतोंके धारक श्रावकोंकी ग्यारह प्रतिमाएं, इन विषयोंके व्याख्यान सुने। उसने आचारांग आदि बारह अंग भी सुने और चौदह पूर्वोको भी अपने मनमें जान लिया। नाना पुद्गल द्रव्योंकी संयोगावस्था और अस्तित्व, दुःख और तापरूप फल दिखलानेवाली कर्म-प्रकृतियोंके अनुभाग रस, कर्मोके आस्रव, संवरं और निर्जरा तथा विविध प्रकारके घोर कर्म-बन्धन, शरीरोंकी उत्पत्तिका जो प्रमाण है, देव, मनुष्य, नारकी और तिर्यंच जीवोंका ज्ञान, आयुके प्रमाणका किस प्रकार विभाजन होता है, गुण स्थानोंका आरोहण एवं देहधारण. इन समस्त विषयोंका विवेचन सुनकर श्रेणिक नरेशने पूछा-हे परमेश्वर, मुझे शुद्ध एवं दुष्कर्मोंसे उत्पन्न दुःखके प्रसारका निवारण करनेवाले श्री पंचमी उपवासका फल कहिए // 12 // 13. गौतम गणधर द्वारा उत्तर : मगध देश राजाका वचन सुनकर वीर प्रभुकी आज्ञासे ज्ञानी गौतम बोले-जिनवरके गुणानुवाद करनेसे जिसकी जीभ सरस हो गयी है ऐसे हे नरेन्द्र-श्रेष्ठ श्रेणिक, सुनिए। लवण समुद्र और हिमवान् प.तसे घिरे हुए इसी विख्यात भरत क्षेत्रमें मगध नामका मनोहर व श्रेष्ठ जनपद है जिसका वर्णन कवियों द्वारा सैकड़ों काव्योंमें किया गया है। इस प्रदेशमें शुकोंके मुखोंसे आहत होनेपर झन-झन ध्वनि करनेवाले पके धानको सघन बालोंके कारण खेतोंमें पैर रखनेको स्थान नहीं रहता, और उपवन ऐसे घने हैं कि उनमें सूर्यको रश्मियां भी प्रवेश नहीं पातीं। यहाँ वटवृक्षोंके प्रारोहोंसे झूलती हुई शोभायमान किसान स्त्रियोंके सुन्दर रूपसे आकृष्ट होकर मानो यक्षिणी भी एकटक देखती रहती है। ऐसे मगध जनपदमें कनकपुर नामक नगर है जो प्रचुर सूवर्णके पंजोंसे घटित है और उसपर ऊपरसे भौंरोंके समान नीले-पीले और श्वेत माणिक्य जड़े गये हैं // 13 // P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust