________________ *28 णायकुमारचरिउ छन्दनाम कडवक लक्षण ... 1 अलिल्लह ... 60, 16 मात्रा, अन्तिम 2 लघु .. 2 पज्झटिका . . .47 16 मात्रा, अन्तिम 2 गुरु-लघु . 3 पादाकूलक - 28 . . 16 मात्रा, सभी लघु 4 दीपक 3 10 मात्रा, अन्तिम 1 लघु 5 मदनावतार 20 मात्रा, अन्त लघु 6 मधुभार 1 8 मात्रा, अन्तिम 2 लघु . 7 करिमकरभुजाद्विपदी .1 / 8 मात्रा, अन्तिम 2 लघु-गुरु :: 8 संखणारी या सोमराजी 3 6 वर्ण दो य-गणोंमें ( भुजंगप्रयात का आधा ) 9 प्रमाणिका . 1 : 8 वर्ण लघु-गुरु क्रम से / र 10 भुजंगप्रयातः .. 1 .12 वर्ण चार य-गणों में ( सोमराजी का दुगुणा ) 11 समानिका ..... 1 . 11 वर्ण गुरु-लघु क्रम से, 1 ... 12 वर्ण चार ज-गणों में ( मालतीका दुगुणा) 13 मालती . .. . 6 वर्ण दो जगणों में ( मौक्तिकदामका आधा ) 1 12 मौक्तिकदाम 150 .. इन 150 कडवकोंके इतने ही घत्ता है तथा उन घत्ता-वृत्तोंको सूचित करनेवाले प्रत्येक सन्धिके आदिमें एक ध्रुवक रूपसे 9 अतिरिक्त पद्य हैं / ये इस प्रकार हैं 14 चौपाइआ (सं 2 व 4) 29 30 मात्रा, 10 और 8 मात्राओं पर यति / 2.15 चुलिआला ( सं. 9) 25 29 मात्रा, 13 मात्रा पर यति / 16 उल्लाल. ( सं. 1) 18 20 मात्रा, 15 मात्रा पर यति / 17 दिग्पाल ( सं. 6) 17 24 मात्रा, 12 मात्रा को दो अर्धालियों सहित 18 घत्ता ( सं. 8) 16 31 मात्रा, 10 और 8 पर यति / 19 चउबोला ( सं. 5) 13 30 मात्रा, 15 मात्रा को दो अर्घालियों सहित / 20 सम्पदा ( सं.७) 15 23 मात्रा, 11 पर यति 21 ( ? )(तीसरी सन्धि) 17. 23 मात्रा, 9 पर यति 9m ध्रुवक .23 गाथा - 22 दुवई ( संधि 3-4) 32 28 मात्रा, 16 पर यति 7 30 मात्रा, ( 6, 10, 1-2 व अन्तमें ) 3 . इस विश्लेषणसे विदित हो सकता है कि अपभ्रंशमें एवं इस ' काव्यमें छन्द-वैचित्र्य कितना महत्त्वपूर्ण है। P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust