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________________ -9.9.3] हिन्दी अनुवाद 151 7. अवतारवादको आलोचना क्या उबले हुए जौके दाने पुनः कच्चे जौमें परिवर्तित किये जा सकते हैं ? क्या घोसे पुनः दूध बन सकता है ? इसी प्रकार क्या सिद्ध हुआ जीव पुनः देहभारका ग्रहण और मोचन करने रूप भवसंसारमें भ्रमण कर सकता है ? अक्षपाद (न्यायदर्शनके प्रणेता गौतम ) और कणचर (वैशेषिक दर्शनके प्रणेता कणाद ) मुनियोंने शिवरूपी गगनारविन्द ( आकाशकुसुम अर्थात् असम्भव वस्तु ) को कैसे मान लिया ? और उसका वर्णन किया। जिसने कामदेवको जला दिया वह महिलामें आसक्त कैसे हो सकता है ? जो ज्ञानवान् है वह मदिरा मत्त कैसे हो सकता है ? जो निर्मल स्वभावी है वह दूसरोंके प्रति वैरभाव के वशीभूत कैसे हो सकता है ? और निरीह ( निस्पृह ) होकर अज' (ब्रह्मा ) का सिर काटने में प्रवृत्त हो सकता है ? ईश्वर होकर भी वह कैसे बहुतसे पापके दण्डका भागी हुआ और अड़सठ तीर्थों की यात्राके चक्कर में पड़ा? जो सर्वार्थसिद्ध है उसे बैल रखनेसे क्या प्रयोजन ? जो दयालु है उसे रौद्र शूल रखनेसे क्या लाभ ? जो आत्मसंतोषसे तृप्त है उसके हाथमें भिक्षाके लिए कपाल क्यों, जो स्वयं पवित्र है उसे हड्डियोंके भूषणकी चाह क्यों ? नित्य ही मद और मोहसे उन्हींके द्वारा उचित है जो वातग्रसित एवं जड़, मूढ़ व पिशाच हों। ___ जो अपने अन्तरंगमें मान, मोह व लोभका भाव रखते हैं, पुत्र, कलत्र, धन तथा रसके लालची हैं, हाथोंमें शस्त्र धारण करते तथा दूसरोंके प्राणोंका हरण करते हैं एवं कामवासनासे आलसी हैं वे स्पष्ट हो धर्मका प्रतिपालन नहीं कर सकते // 7 // 8. वेद-पुराण सम्बन्धी समीक्षा मृगोंका आखेट करनेवाला जो मांससे अपना पोषण करता है वह अहिंसाकी घोषणा क्या कर सकता है ? असत्यवादीको ही असत्य सुखकारी हो सकता है, चोरको ही चोरो अच्छी लगती है। परस्त्रीसे उत्पन्न व्यासने परदार गमन किया तथा अपने द्वारा लिखित पुराणोंका देवोंको दर्शन कराया। स्वयं लोभी होता हुआ ( पुरोहित ) गाय, भूमि व धनधान्य तथा देवांगनाओंका दान कराता है। धनके लिए कुकर्म कराता है। स्वयं भी मरता है और दूसरोंको भी मरवाता है। सर्वतः निस्सार काव्य रचता है। मद्यपान और मांस भक्षण करता है तथा रात्रिभोजनको पुण्य कहता है, जिह्वाका लोलुपी होता हुआ वह तनिक भी विचार नहीं करता। जगत्में वेद प्रमाण नहीं हो सकता, क्योंकि बिना जोवके कहीं (प्रमाणभूत ) शब्दकी प्राप्ति हो सकती है ? बिना सरोवरके नया कमल कहाँसे उत्पन्न हो सकता है। बिना गायके 9. दूषित धारणाएँ और अन्धविश्वास गाय और बैलको बांधा जाता, अवरुद्ध किया जाता, पीटा जाता, नाकमें बींधा जाता, पकड़कर गिराया जाता और उनका निग्रह किया जाता है तथा बछड़ेके पोते-पीते ही गायका दूध काढ़ लिया जाता है, इतने पर भी गोवंश मात्र को देव कहा जाता है। हाय-हाय, पुरोहितों द्वारा P.P. Ac. Gunratnasuri M.S.
SR No.036460
Book TitleNag Kumar Charita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPushpadant Mahakavi
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1972
Total Pages352
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size337 MB
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