________________ -3. 12. 14 ] हिन्दी अनुवाद 11. राजाका कोप __ इस प्रकार नगरमें मदनको भ्रमण करते हए देखकर पिताने अपने मनमें सोचा-मेरे निवारण करनेपर भी यह नगरमें कैसे घूमता है ? महिलाएं स्वयं अपने हितको नहीं जानतीं। टेढ़ापन महिलाओंका स्वाभाविक गुण ही है। मैंने रोका और उसने स्वयं ही पुत्रको प्रेरित किया, जिससे वह युवतियोंके हृदयका मर्दन करते हुए घूमता है। ऐसी दशामें उसका क्या किया जाये ? इसका सब धन अपहरण कर ले लिया जाये। जिसके धन होता है उसीके सुन्दर घोड़े और हाथी होते हैं। जिसके घन उसोके ध्वजाएँ और दुरते हुए चमर / जिसके धन उसीके धवल छत्र / जिसके धन उसीके सुन्दर वादित्र / जिसके धन उसीके हाथोंमें खड्गधारी भट / जिसके धन उसोके मणिमय श्रेष्ठ रथ। जिसके धन है वही विकारको प्राप्त होता है। ऐसा चिन्तन कर उसने सुभटोंको भेजा और अपने पति द्वारा कही गयी बातका उल्लंघन करनेवाली श्रीमतोको पुत्रोके धनका हरण करा लिया / जब पत्रने अपनी माताको भूषणविहीन तथा जीर्ण वस्त्रोंका वेष धारण किये हुए देखा तब उसने पूछा-हे माता, तुम इस प्रकार कुकविकृत कथाके समान अलंकार रहित क्यों बैठो हो? अम्माने उत्तर दिया, मुझे नरपतिने इस प्रकार अपमानित किया है / तू नगरमें घूमता है यह कहकर मुझे धनापहरणके दण्डसे ताड़ित किया गया है / / 11 / / 12. नागकुमारको प्रतिक्रिया .. तो क्या मैं चोर हूँ ? व्यभिचारी हूँ ? दूसरोंके प्राण लेता हूँ ? जो पिताने चुगलखोरोंके कहनेपर धनका अपहरण कर लिया। अथवा मेरे ऐसा कहनेसे क्या लाभ ? प्रभु जो कुछ करे वही लोकमें युक्त है / ऐसा कहकर वह सुन्दर राजकुमार द्यूतगृहमें गया जहाँ दानियोंके त्यागके यशका घण्टा बजाया जा रहा था। द्यूतफलक क्या है मानो गगनरूपी आँगन है। पापा क्या है मानो चन्द्रमा है। कौड़ियां ही नक्षत्रोंके समान हैं / जहाँ नाना प्रकारके धन उड़ रहे हैं जैसे रत्न कुण्डल, विचित्र मुकुट, कंकण, हार, डोर एवं कटिसूत्र / वहाँ कपूर को धूलिका रज उठ रहा था जो चंवरोंके वायु संचारसे फैल रहा था, तथा जहां ऊपर तने हुए छत्रोंकी छाया हो रही थी। वहाँ जाकर कुमारने अपना दाव लगा दिया और खन-खन ध्वनिके साथ पासा खेलकर बलवान माण्डलिकोंके आभरण जोत लिये। फिर उसने त्याग करते हुए दुःख निवारक धनकी धारासे दीन जनोंको प्रसन्न किया और रत्न तथा बहुतसे स्वर्ण दोनार लाकर अपनी माताको दिये। .. प्रासादमें मिलनेपर राजाने देखा कि मांण्डलिकोंके हाथोंमें न कंकण हैं न गलेमें हारलताएँ और न सिरपर मुकुट // 12 // P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust