________________ हिन्दी अनुवाद ठीक हो उत्तर दिया, 'आवें वे प्रियाएँ, मैं उन्हें अपना अंग समर्पित करता हूँ। योग्य-अयोग्य गुरुजन जानें, शिशु तो उनकी आज्ञाका सम्मान ही करेगा।' तब पंचसुगन्धिनीने रोमांचित हो अपनी उन प्रेमसे पीड़ित पुत्रियोंको लाकर कामदेव . नागकुमारको विवाह दी // 7 // 8. नागकुमारको जलक्रीडा और राजाका सन्देह मंगल तूर्य और भेरीको ध्वनिसे आकाश मार्ग बहरा हो गया, तथा रति और प्रीतिके समान उन दोनोंका मनसिज नागकुमारके साथ पाणिग्रहण हुआ। . ___ अन्य एक दिन नागकुमार अपनी उन गृहिणियों सहित सरोवरमें प्रविष्ट हुआ, जैसे हस्तिनियोंके साथ हस्ती। अपनी प्रेमल पत्नियोंसे घिरकर कूमारने विस्तारसे जलक्रीडा प्रारम्भ को। किसी युवतीने नग्न होकर जलमें अपने अंगको छिपा लिया और किसोने अपना अधखुला स्तन दिखलाया। किसीने कमलपत्रपर पड़े हुए जलबिन्दुको देखा, और वहाँ अपनी हारावलि भेंट चढ़ा दी। किसीने जलकी तरंगोंमें अपनी त्रिबलिको देखा और सुभग पतिसे कहा, दोनोंके सादृश्यको तो देखो। किसीके अतिसुगन्धी मुखपर भ्रमर कमलको छोड़कर आ बैठा। किसीका झीना और जलार्द्र वस्त्र अंगसे ऐसा चिपट गया कि नाभि मार्ग भी दिखाई देने लगा। किसीकी ओढ़नी जलमें. तैरने लगी और लोग उसे पानीकी छाल समझकर निहारने लगे। अनेक मानिनी स्त्रियोंने आकर व जलभरी पिचकारियां हाथों में लेकर मकरध्वजको सींचकर स्नान करा दिया और अपनी ओर देखनेवाली उन मानिनियोंका हृदयसे ही सम्मान किया। उन्होंने सरस वचनोंके द्वारा उसे आकृष्ट किया तथा कमलकी चोटोंसे मानो उसकी पूजा की। __ इसी बीच नारियोंमें श्रेष्ठ पृथ्वीदेवी धोये हुए धवल वस्त्र एवं उत्तम चन्दन-कुंकुम लेकर जब अपने पुत्रके समीप जाने लगी, तब उसकी ज्येष्ठ सपत्नी विशालनेत्राने राजाको दिखलाया। मंचपर आरूढ़ ज्येष्ठ सपत्नीने कहा-हे पृथ्वीपति, अपनी इस प्रिय गृहिणीको शृंगारकी सामग्री लेकर जारके घर जाती हुई देखिए // 8 // 9. राजाका व्यवहार और रानीको प्रतिक्रिया इसी समय सहसा वह वीर चूड़ामणि जिसने अपनी लोलासे दिग्गजको भी जीता था अपने भवनको पश्चिम दिशामें स्थित नन्दन वनके सरोवरके तीरसे निकला / और वह अपनी माताके P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust