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________________ -2.13. 11] हिन्दी अनुवाद 12. बालकका वापीमें पतन वहाँ जब वे उच्च, स्थूल और सघनस्तनों वाली, किंकणी लटकती हुई मेखलाएं धारण करनेवाली गजगामिनी कामिनियाँ वापीके जलको देख रही थी तभी उनके कर-कमलोंसे बालक वापीमें गिर पड़ा। उसे गिरता देखकर एक नागने अपने सिरपर झेल लिया जैसे मानो उस गिरते कुमारको आधार देनेके लिए नागदेवने ऊपरको छोड़ी हुई जलको फुफकारों तथा फणरूपी पांच अंगुलियोंसे शोभायमान एवं सिरके मणिरूपो नखोंसे युक्त अपना हाथ ऊपरको उठा दिया हो। जलमें उगे हुए उस स्थिर देहरूपी नाल तथा फणावलि रूपी पत्रसे युक्त पन्नगरूपी कमलपर बैठकर वह सुन्दर धीरबुद्धि बालक विलास करता, हंसता, रंगमें आता और रमण करता दिखाई दिया / वहाँ बैठकर वह बालक विषधरके मस्तकको मणिमें अपना प्रतिबिम्ब देखने लगा। बालक समझा कि वह कोई दूसरा शिशु है, अतः वह उसे बुलाने लगा। वह यह समझ ही नहीं सका कि वह कोई भयंकर नाग है / वह अपने करतलसे नागके मुख और दाढ़ोंको छूता था और उसके साथ कुछ तो भी वोलता व हँसता था। उधर तुरन्त भारो हाहाकार मच गया। विधिको विडम्बनासे वह नयन-सुहावना राजकुमार वापीमें नागके ऊपर गिर पड़ा // 12 // 13. घबराहट और आश्चर्य कुमारके वापीमें गिरनेका समाचार सुनकर घबरायी हुई पृथ्वी महादेवी, चंचल-मेखला सहित दौड़ी और वह राजरानी होकर भी ऐसी रोयी जैसे अपने शावकके वियोगमें हस्तिनी। हाय पुत्र, कमलमुख पुत्र, हे पुत्र, पुत्र, तुझे यह क्या हुआ ? अब तेरे बिना अनेक सैकड़ों दुःखोंको सहते हुए मेरे जीवित रहनेसे क्या लाभ ? ऐसा कहकर उसने अपने मरणका विचार कर लिया और अपनेको उसी वापी में फेंक दिया। तब उस कुवलयनेत्रा महादेवीके परिजनोंमें हाहाकारका कोलाहल मच गया। किन्तु जहां गज भी अपने कुम्भस्थलों पर्यन्त डूब जाते थे, वहां भी सुरवरोंने उसके लिए सुविधा को। धर्मके फलकी कितनी प्रशंसा की जाये ? वापोका गहरा पानी भी घुटने-घुटने हो गया / देवोंने देवोका आदर किया और बालककी पूजा करके माताकी गोद में सौंप दिया। - संयम, तपश्चरण, व्रतोद्यापन ही मंगल धर्म कहा गया है। जिसके मनमें जैन धर्म है उसे प्रतिदिन निश्चय रूपसे देव भी नमस्कार करते हैं // 13 // PP.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036460
Book TitleNag Kumar Charita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPushpadant Mahakavi
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1972
Total Pages352
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size337 MB
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