SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 105
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री रुतुजत्रिविरशित शीनामाकराजाचरितम् ] मराठी :- "आता शजव तीर्थात जाऊन खजाज्यातील बाकी उरलेले धन नागश्रेष्ठीच्या पुण्याईसाठी खर्च करायचे" अशाप्रकारे विचार करून समुद्र तीर्थयात्रेसाठी तयारी करू लागला तोच पाकटा भाऊ सिंहाने राजाकडे जाऊन सांगितले की,16 English :- Samudra now decides to go to Satrunjay and declare about the remaining part of the wealth, for the benediction of the Nag family. Having decided thus, Samudra began making preparations for his pilgrimage when Sihe decided to meet the king of their kingdom. लेभे निधानं मझात्रा, यात्राव्याजावसौ ततः॥ तदादाय वमनस्ति, नदोषोऽथ मनाग् मम // 62 // आन्धाश:- मयात्रा निधानं लेभी तत: आसौ यात्राव्याजात् तद् आदाय वजन् अस्तिाअन मम मनाग दोषा: 0620. विवरण:- माय माता मझाता तेन मद्भात्रा मम बन्धुना समुद्रेण निधानं भूमौ निहित: निधिःलेश यो ततः तस्मात् असी আশংকা: আল: সি ধামাকা: নশান থানাঙ্খলান আগামিকার নং নিখানন লিখি ফাঙ্গ সূচি छाजन गच्छन् अस्तिा मया राजे निवेदनरूपं भत्कर्तव्यं अनुष्ठितमस्तिा अत: स:निधियाना गच्छेत् चोत आचमन अनादि किश्चिदपि दोष: नवर्तते // 2 // सरलार्थ:- सम भ्रात्रा समुद्रेण भूमौ निहित: निषिः लब्य: अस्तिा स: वात्रामिषात् तं निषिमादाय गच्छन् अस्ति। सवा भवते निवेदितम्। यदि सः स निषिमादाय गच्छेत् तर्हि अत्र मम किश्चिदपि दोषः न // 6 // ગુજરાતી:- “આરસ ચોટા ભાઈ સમુદે દાટેલું નિધી મેળવ્યું છે, તે નિધીને લઈને તીર્થયાત્રાનું કરી શકહીવટ હશે જેદાશ निधान बने साल्यो ,तोमा भाशेहोष नथी.भारनेछ."1200 हिन्दी :- "मेरे बडे भाई समुद्र को गडाहुआ धन मिला है और वह उस पूरेखजाने को लेकर तीर्थयात्रा का बहाना कर के अभी ही यहाँ से निकलने वाला है। मैने अपना फर्ज समझ कर आपको सच्ची बात बता दी है। अब शायद वह खजाना लेकर निकल भी जाए तो उसमें मेरा कसूर नहीं।"||६२|| RAHATE.] * F REER PP.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036458
Book TitleNabhak Raj Charitram Gujarati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMerutungasuri, Sarvodaysagar
PublisherCharitraratna Foundation Charitable Trust
Publication Year
Total Pages320
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size38 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy