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________________ हिन्दी :. रिश्तेदारों की पहचान निकाल कर उनके बल से सिंहने समुद्र से घर और खजाने का आधा हिस्सा मांग लिया तबसमुद्रने शत्रुजयतीर्थ की यात्रा करने का निश्चय किया||६०॥ मराठी :- आपल्या नातेवाईकांची ओळख गांठन त्यांच्या जोराने सिंहाने समुद्राकन घर व खजिन्याची अर्धी वाटणी करबूज घेतली. तेव्हा समुद्राने शत्रुजय तीर्थाची यात्रा करण्याचे ठरविले. English :- Catching the reins of his relatives support, Sihe asked for his share of the house and the new found wealth. At this juncture, Samudra decided to make a pilgrimage at Satrunjay. निधानार्ध व्यये तीर्थे नागपुण्यार्थमित्यसौ। यावच्चलति सिंहेन, तावद्राक्षे निवेदितम् // 6 // अन्वय:- अहं नागपुण्यार्थ तीर्थे निधानाध व्यये इति असौ यावत् चलति तावत् सिंहेन राशे निवेदितम् // 6 // विवरणम्:- अहं नागस्य नागगोष्ठिन: पुण्यार्थ नागपुण्यार्थ नागश्रेयसे तीर्थे शत्रुञ्जयतीर्थे निधानस्य निधे: अर्घ निधाना (अध निधानं) व्यये व्ययीकरोमि इति विचिन्त्य असौ समुद्र: यावत् यात्रार्थ चलति तावत् सिंहनराशेनपाय निवेदितं कथिम् // 6 // सरलार्थ:- अहं नागस्य पुण्यार्थ शत्रुअवतीर्ये निधानार्पस्य व्ययं करोमि इति विचिन्त्य असी समुद्रः यावत् चलति तावत् सिंहेन / नृपाय निवेदितम् // 11 // ગુજરાતી:- શ્રી શત્રુંજય તીર્થમાં જઈ, આ બાકી રહેલાનિધાનમાંના દ્રવ્યનો નાગણીના પુણ્યને માટે વ્યય કરવો છે એમ વિચાર કરી સમુદ્ર તીર્થયાત્રા કરવા માટે ચાલવાની તૈયારી કરતો હતો. તેવામાં સિંહે તે નગરના રાજની આગળ જઈને निहन, हिन्दी :- "अब शत्रुजय तीर्थ जाकर बाकी बचे हुए द्रव्य का नागश्रेष्ठी के कल्याण के लिये व्यय करना है," ऐसा सोचकर समुद्र तीर्थयात्रा जाने की तैयारी करने लगा उतने में ही सिंहने नगर के राजा के पास जाकर ऐसा निवेदन किया,||६१॥ eennepanemeteneplasDeepa Grihitarkahaki
SR No.036458
Book TitleNabhak Raj Charitram Gujarati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMerutungasuri, Sarvodaysagar
PublisherCharitraratna Foundation Charitable Trust
Publication Year
Total Pages320
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size38 MB
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