________________ मृगापुत्र // 3 // चरित्रम् इति चिंतयतस्तस्य / साधुदर्शनयोगतः // मूर्छा गतस्य तरकालं / जातिस्मृतिरभृत्परा // 6 // अर्थः-ते मुनिराजने जोवाथी एम विचारता, अने तेथी तत्काल मूर्छा पामेला एवा ते मृगापुत्रने श्रेय जातिस्मरण ज्ञान उत्पन्न थयुं चिंतयेच्च मया पूर्व / श्रामण्यमनुपालितं // देवीभृय ततो भोगा // भुक्ताश्च विविधा मया // 7 // अर्थः-तेथी तेणे विचार्यु के पूर्व चरित्र पाळ्युं छे, अने तेथी देवपणे उत्पन्न थइने में नानापकारना भोगो भोगव्या छे, 1905 | तदरज्यन् स भोगेषु / किंतु रज्यन् महाव्रते // इदं वाक्यमुपागम्य / पितरौ कुमरो जगौ // 8 // अर्थः-तेथी भोगोमाटे नाखुश थयेलो परंतु चारित्र लेवामाटे खुशी थयेलो ते मृगापुत्र माता पिता पासे आवीने आवीरीतनु वचन बोलबा लाग्यो के, // 8 // महाव्रतानि पंचैव / श्रुतानि नरकेषु च // दुःखं सोढं मया हंत / नृतिर्यक्षु तथामितं // 9 // | अर्थः- महाव्रतो तो पांचज सांभळेला छे, परंतु अरेरे ! नरकोमां, मनुष्यभवोमां तथा तिर्यंचोना भवोमां में प्रमाण विनानुं दुःख 4 सहन कर्यु छे. // 9 // निवृत्तोऽस्मि ततोऽनंत दुखःमूलाद्भवादहं // पितरावनुजानीतं / तद गृहीष्यामि संयम // 10 // अर्थः-माटे हवे तो अनंत दुःखोना मूल रूप संसारथी हुं कंटाळी गयो छु, अने तेथी हवे तो हुँ चारित्र लेइश. माटे हे माता पिताजी! ते माटे मने अनुज्ञा आपो. // 10 // %8CSRX % P. Gunanasur MS Jun Gun Aaradh