________________ मृगांक चरित्रम् || तस्या वदनमाभाति रजनीशसमप्रभम् / सुधौतधामसद्धाम पद्मपत्रसुलोचनम् // 16 // // . अर्थः-तेणीनुं वदन चंद्रमानी कांतिजेवु तथा अमृतना भाजनसरखं तेजस्वी अने पद्मपत्र जेयां छे लोचन जेनां एवं शोभतुं हतुं. // 16 // सा भाति भुवने रम्या शीलेन जनकात्मजा / सर्वशङ्गारसंयुक्ता चातुर्यगुणशोभिता // 17 // ... अर्थः-वळी तेणी सर्व मकारना शृंगारथी संयुक्त, चातुरीयर्थी शोभितो तथा शीलथी सीतानीपेठे महलमा शोभती हती. // तस्याः सूनुः सदा रेजे रूपसुन्दरनामतः / विनयादिगुणाधारः समग्रसुकलान्वितः // 18 // __ अर्थः-तेणीनो विनयादि गुणोवाळो तथा सर्व उत्तम कळाओथी युक्त एवो रुपसुंदर नामे पुत्र हमेशां शोभतो हतो.॥| रूपेण जितदेवेन्द्रः शस्त्रविद्याविभूषितः। शास्त्रालङ्कारशिल्पज्ञः प्रसिद्धबुधसेवितः // 19 // . अर्थः-वळी रुपवडे करीने देवेंद्रने पण जीतवावाळो, शस्त्रविद्याथी अलंकृत, शास्त्रालंकार तथा शिल्पकळा जाणवावाळो ते कुमार प्रसिद्ध पंडितोथी सेवित हतो. // 19 // तस्य शरीरमाभाति रम्भाग तिकोमलम् / लसल्लक्षणसंयुक्तं कल्याणविमलद्युति // 20 // . अर्थ:-ते कुमारनुं शरीर केळना गर्भसमान कोमल, देदीप्यमान गुणोथी संयुक्त अने सुवर्णना जेवी कातिवाल्लं || / / शोभतुं हतुं. // 20 // P.P.AC.GunratnasuriM.S. Jun Gun Aaradhak Trust