________________ मृगांक // चरित्रम् . .. fil तस्करो यस्य देशेषु बन्धनं नास्ति कुत्रचित् / रोगश्शोककरश्चैव भयं वैरं परस्परम // 11 // ___ अर्थ:-जेना देशमा तस्कर, बंधन, रोग, शोक, कर, भय अने परस्पर वैरभाव विगेरे कंइ नहोतुं. // 11 // सचिवस्तस्य विख्यातो वर्त्ततेस्म महीपतेः। सुबुद्धिरिति नाम्ना हि कुशाग्रबुद्धिऋद्धिभृत् // 12 // // 4 // ___ अर्थः–ते राजाने कुशाग्र बुद्धिवाळो अने सुप्रसिद्ध एवो सुबुद्धि नामे प्रधान हतो. // 12 // राज्यभारधरो नित्यं सर्वशास्त्रविशारदः। परचित्तस्य सडल्पज्ञाता भोग्यकभोगका ___ अर्थ-वळी ते प्रधान राज्यभारने हमेशां वहन करवावाळो, सर्व शास्त्रमा पारंगत, परना ह्रदयने जाणवावाळो तथा भोग्य वस्तुने भोगवनारो हतो. // 13 // निम्नसागरगम्भीरो बुट्या च धीषणोपमः / समग्रगुणसंयुक्तो जनानां मोहकारकः // 14 // ___अर्थ:-वळी ते प्रधान महान् सागरजेवो गंभीर, बुद्धिमां बृहस्पति जेवो अर्थात् सर्व गुणोए करी सहित एवो लोकोने मोह पमाडनारो हतो. // 14 // Lyo- 24 HOTo Mn 4gdigo तस्य राज्ञः प्रिया रेजे नाना मदनवल्लभा / समग्रगुणमञ्जूषा रूपेण मदनप्रिया // 15 // .' अर्थ:-ते राजानी सर्व गुणनी पेटीरुप तथा रुपे करी रतिजेवी मदनवल्लभा नामे मिया शोभती हती. // 15 // // 4 // // // P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust