________________ ॥श्रो जिनाय नमः / . मृगांक || चरित्रम् // 1 // (गूर्जरभाषांतरसहित) // श्री मृगांकचरित्रं प्रारभ्यते // (कर्ता-श्रीऋद्धिचंद्रजी) छापी प्रसिद्ध करनार-विठलजी हीरालाल लालन--(जामनगरवाळा) श्रीपार्श्वः प्रत्यहं जीयात् स श्रीमान् वसुधातले। प्रोद्यद्गुणालिसद्धाम पार्श्वसेवितपार्श्वकः // 1 // यो ददाति महद्भद्रं भव्यानां भीतिभञ्जनः / भाखद्भानुसमाकारो निजवंशमरुत्पथे॥२॥ युग्मं // ___ अर्थः-सकल गुणना धाम, पार्थ नामना यक्षथी सेवायेला छे पडखां जेना, भव्यात्माओनी भीतिने भांगवावाला, महान् कल्याणकारी, पोताना वंशरुपी आकाशमा देदीप्यमान सूर्यसमान एवा श्रीमान् पार्थप्रभु हमेशां जयवंता वर्तो ? // 1-2 // भारति! भारती स्फारां दद्यास्त्वमेव सत्वरम् / सुराणामपि शर्मोघप्रदामेवामृतप्रभाम् // 3 // // 1 // P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust