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________________ ( 408 ) मोहनचरिते षोडशः सर्गः। / उत्तर यो लुञ्चति शिरःकेशान्नापि ग्लोचत्यथो तृणम् / न वाञ्छति फलं तं च संसृतिर्नहि लाजति // 20 // पोताना भरतना शानो मस्तिथी ( लुञ्चति ) सोय २।छ भने तृ॥ स२५ 5( न ग्लोचति ) यारत नथी अने णनी -छ। २।५ता नथी तेना ससार ( न लाजति ) ति२२४१२ 32 / नथी अर्थात् संसारनी पी। तेने थती नथी.. कस्मैचिन्नैव चण्डन्तां न शौटन्तु कदाचन / चुण्डन्तूपग्रहान्भो भो सेवन्तां शासकान्सदा // 21 // छन। S52 ( न चण्डन्ताम् ) 4 / 5 ६२वी नहि. हिवते (न शौटन्तु) गर्व 23 / नहिं. अपयडीने (चुण्डन्तु ) 2165 13 / सने हे शिष्यो! पोताना शास्त्रनु शासन २नारने ( सेवन्ताम् ) निरंतर सेवा. 21. श्वलन्तु न भवन्तो द्राक् ग्लहन्तां नैव सजनान् / धर्मद्रुमं सदोक्षन्तां चूषन्तु सत्कथामृतम् // 22 // तभे (न श्वलन्तु ) म स सही यात नाडि, सानाना (न ग्लहन्ताम्) ति२२७।२ / नही, यपी वृक्षने सह। ( उक्षन्ताम् ) सीयता 22, श्रेष्ठ प्रथा३५ी अमृततुं ( चूषन्तु ) पान 2.22. रत्नाधिकान्सदार्हन्तु सम्भन्तां जिनशासने / चलन्तु नो शुभध्यानादुपसर्गशतेऽपि च // 23 // शान, शन सने यात्रि३पी रत्नाथी श्रेष्ठ छाय तेने निरंतर ( अर्हन्तु ) पूom शासन 52 ( सम्भन्ताम् ) विश्वास रामा, / विना सावे / 59 शुभ ध्यानथी ( न चलन्तु ) यसायमान थामे नही. 23. मनीषिभिः समेधन्तां बुन्दन्तां तत्त्वसंततिम् / गृहन्तु न निजं दोषं मनन्त्वागममार्हतम् / / 24 // ... ५डितानी साथ (समेधन्ताम् ) वृद्धि पामी, तत्वज्ञानने (बुन्दन्ताम्) सामण पाताना षाने ( न गृहन्तु) छुपाव। नहिं, सने शास्त्र ( मनन्तु ) म 2. 24. P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036452
Book TitleMohan Charitam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDamodar Sharma, Ramapati Mishra, Raghuvansh Sharma
PublisherJain Granthottejak Parshada
Publication Year1910
Total Pages450
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size374 MB
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