________________ केशरी चरित्रं // 7 // सान्वय भाषांतर // 7 // (पोताना) पिताने बहुज मार्यो. // 17 // परासुं पितरं त्यक्त्वा महर्जीनि गृहाणि सः। प्रविवेश पदार्थांचं सारं सारं जहार च // 18 // ____ अन्वयः-परामुं पितरं त्यक्त्वा सः महीने गृहाणि प्रविवेश, च सारं सारं पदार्थ ओघं जहार. // 18 // अर्थः-(पछी) मरण पामेला पिताने तजीने ते केशरीचोर महान् समृद्धिवाळां घरोमां दाखल थयो, अने त्यांथी तेणे सारी सारी किमती वस्तुओना समूहनी चोरी करी. // 18 // अन्त्ये यामे त्रियामायाः स समायातवान्पुनः। सरोवरं तदेवाशु दुर्गमारण्यमण्डनम् // 19 // . __ अन्वयः-पुनः त्रियामायाः अंत्ये यामे सः दुर्गम अरण्य मंडनं, तत् एव सरोवरं आशु समायातवान् . // 19 // अर्थः-पछी रात्रिने छेल्ले पहोरे ते केशरीचोर, अगोचरवनने शोभावनारा तेज सरोवरपासे तुरत आव्यो. // 19 // नित्यमित्ययमुद्दामक्रोर्यश्चौर्यलसद्रसः / तदेव नगरं गत्वालुण्टद्विविधलुण्टनः // 20 // ___ अन्वयः-इति उद्दाम क्रौर्यः, चौर्य लसत् रसः, विविध लुंटनः, आं नित्यं तत् एव नगरं गत्वा अलुंटत् . अर्थ:-ए रीते अत्यंत निर्दय, अने चोरी करवामां रसवाळो, तथा नाना प्रकारनी लुट चलावनारो ते केशरीचोर हमेशां तेज नगरमां जइने लुटफाट करवा लाग्यो. // 20 // लोकं साधुसतीमुख्यं संतापयति पापिनि / यमागम इव भियेऽभवत्तत्र निशागमः // 21 // PP.AC.Gunratnasuri M.S.. Jun Gun Aaradnak Trust --