________________ C] सान्वय केशरी चरित्रं // 9 // तपोधनतपशीलवतीशीलप्रभावतः / तत्क्लेशसोद्यमः सोऽद्य मम चौरोऽस्तु गोचरः // 25 // इत्युक्त्वाल्पपरीवारः पुरीमयमलोकत / प्रत्यास्थानं प्रतिद्यूताश्रयं प्रतिसुरालयम् // 26 // त्रिभिर्विशेषकम् / भाषांतर अन्वयः-ततः व्यथा, आतुरः क्षितिपतिः कोप संतप्तं लोचन इयं पुर प्रेक्षा कृपा अश्रुषु निमज्जयन्, // 24 // तपः धन तपः // 9 // शीलवती शील प्रभावतः तत् क्लेश सोद्यमः सः चौरः अद्य मम गोचरः अस्तु ? // 25 // इति उक्त्वा अल्प परीवारः अयं प्रति आस्थानं, पति छूताश्रय प्रतिसुराल पुरीं अलोकत. // 26 // विभिर्विशेषकं // अर्थः-पछी चिंतातुर थयेलो ते राजा क्रोधथी तपेला बन्ने चक्षुओने नगरमा तपास करवामाटेनी दयावाला आंसुओर्मा भीजा- निrton वतोथको, // 24 // तपस्वीओनी तपस्या, तथा शीलवंतीओना शीलना प्रभावथी, तेओनें कष्ट आपवामा उद्यमी थयेलो ते चोर आजे मने दृष्टिगोचर-थाओ? // 25 // एम कहीने स्वल्प परिवारवालो ते राजा दरेक सभास्थानोमां, दरेक जुगारखानामां, तथा घा दरेक देवमंदिरोमां नगरनी अंदर तपास करवा लाग्यो. // 26 // त्रिभिर्विशेषकं // चौरचिहुं क्वचित्किंचिदयनालोकयन्नृपः। जगामाक्षामसंकल्पः पुरीपरिसरावनिम् / / 27 // अन्वयः कचित् किंचित् अपि चौर चिझं अनालोकयन, अक्षामा संकल्पः नृपः पुरी परिसर अवनि जगाम. // 27 // अर्थः -क्यांयें कई पण चोरनु चिह्न न जोवाथी अति चिंतातुर थयेलो ते राजा नगरनी आसपासनी भूमिपर (तपासमाटे) गयो. वापीकूपतडागादिस्थानेष्वपि निरूपयन् / न प्राप भूपतिः क्वापि चौरसंचारचेष्टितम् // 28 // *PP-AC Gunratnasun M.S. Jun Gun Aaradhak Trust