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________________ गुराण // 2 // P.PA. Gunratnasuti MS लक्ष्मी आपो. जे श्री वीरप्रभु पिता (सिद्धारथ राजा ) ना घरने विषे. वृद्धि पामती एवो लक्ष्मीए करीने पोखे चरित्र. पृथ्वीमा वर्तमान एवा नामथी प्रसिद्ध थया.॥३॥ श्री अंचलगच्छना अधिपति एवा श्रीमान् मेरुतुंग सूरीश्वर विजयवंता वर्तो. जे सूरीश्वरनी वाणीथी दुधसहित साकर पण प्रमाणवाली (थोडी मीठाशवाली) थई गई. // 4 // देव, गुरु अने धर्म ए त्रण तत्वने उत्तम प्रकारे सेवन करवाथी समकित प्राप्त थाय छे. तेज कारण माटे * (आर्यावृत्तम् ) श्रीअंचलगछेशाः,श्रीमंतो मेरुतुंगसूरीशाः // विजयंतां यहाण्या,सिता मिता संयुता पयसा // 4 // देवगुरुधर्मतत्वत्रयीसमासेवनेन संम्यक्त्वम् // 'तेनैवं देवपूजा, मलं तस्यापि विडेया // 5 // ( स्वागतात्तम् ) वर्तते यदि मनोरथमाला, राज्यऋभिरमणीषु विशाला // ईप्सिता यदि मनोइतनजास्तत्कुरुध्वमंनिशं जिनैपूजा // 6 // ( अनुष्टुप्वृत्तम् ) * मोसौरव्यं फलं मुख्यं, गौण राज्यादिकं पनादेवपूजान्निधा कैल्पवलि देत्तेऽन्वहं नृणाम् | गुरुप्रसादान्माणिक्यसुंदरः सूरिर्रल्पधीः // पूर्जाधिकारे वक्ष्यामि, गुणवर्मकामहम् // 7 // A देवपूजा ते समकितनुं पण मूल कारण जाणवू. // 5 // हे भव्यजनो ! जो तमने राज्यसमृद्धिरूप स्त्रीने विष म्होटो मनोरथ होय अने मनोहर एवा पुत्रोनी इच्छा होय तो निरंतर जिनराजनी पूजा करो. // 6 // देवपूजा छे नाम जेनुं एवी कल्पलता माणसोने निरंतर प्रथम मोक्षसुखरूप फल अने पछी राज्यादिक फल आपे छ. // 1 // // 7 // अल्पवुद्धिवाळो माणिक्यसुंदर मूरि हं, गुरुना प्रसादथी पूजाना अधिकारने विषे गुणवानी कथा क Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036439
Book TitleGunvarma Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Hathishang
PublisherMaganlal Hathishang
Publication Year1902
Total Pages242
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size300 MB
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