________________ P.PA. Gunratnasuti MS ए प्रमाणे निर्मल, उदार अने उत्तम वर्णवाली चार स्त्रोयो सहित गुणवर्मा राजातुल्य अने नान्हा पर्वतोथी आश्रय करायेला अने माणिक्यथो सुंदर कांतिवाला मेरुपर्वतनी शोभाने पाम्यो. // 239 // (वसंततिलका वृत्तम्.) ऐवं चतुरिमलैः सहितो धंदारै-र्दा रैः सुवर्णकलितैर्गुणवर्मनूपः // तुल्यौः श्रितस्य सँघुनिर्गिरिनि:सुमरो-'माणिक्यसुंदररूचेः श्रियमावतार // 3 // इति श्री अंचलगन्छेश श्री माणिक्य सुंदरसूरि विरचित्ते पूजाधिकारे गुणवर्माचरित्रे प्रियाचतुषय प्राप्ति वर्णनो नाम प्रथमः सर्गः // सर्ग जो॥ तासु कांतासु कांतासु, रममाणस्य भूपतेः // अथ सप्तदशाजूंवनंदनाः कृतनंदनाः // 1 // आद्यः प्रथमराजाख्यस्ततः सिंहो हेरिर्गजः॥ पद्मश्चगयाकरः शंखो ऽनंतो नांगदशाननौ॥२॥ अचलो बहुबुद्धिश्च, तारुणस्तु त्रयोदशः // चतुर्दशचक्रपाणिः, पूर्णः पंचदशस्तथा // 3 // सामःसागर इत्येवं, सुताः सप्तदश स्मृताः // प्रमोदन्नेदा इव ते , व्यरोजंते नृपालये // 4 // पछो ते मनोहर स्त्रीयोने विषे क्रोडा करता ते राजाने आनंदकारी एवा सत्तर पुत्रो थया. // 1 // तेमां पहेलो 1 प्रथम राजा नामनो, 2 सिंह, 3 हरि, 4 गज, 5 पद्म, 6 च्छायाकर, 7 शंख, 8 अनंत, 9 नाग, 10 दशाननः // 2 // 11 अचल, 13 बहु बुद्धि, 13 तारुण, 24 चक्रपाणि, तेमज 15 पूर्ण. // 3 // 16 सोम अने 17 सागर ए प्रमाणे सत्तर पुत्रो हता. ते पुत्रो जाणे हर्षना भेदो होयनो ? एम राज मंदिरमां शोभता हता. Jun Gun Aaradhak Trust