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________________ P.P.AC.Gunratnasun M.S. माथी कोइये आ वनने विषे आणी छे. // 223 // आजे प्रियना दर्शनथी सर्व सारुं थयुं." एवां ते स्वीनां वचन सांभली हर्ष पामेलो राजा तेने लई पोताने घेर आव्यो. // 224 // वितावि पुरुषोए नहिं आपेली आ * कन्याने हरि शी रीते परणवू ?,, आ प्रमाणे राजा विचार करतो हतो एवामां प्रतिहारीये विनंता करीके. // 225 // “सिंहल राजानो प्रधान रोकी राखवाथी आपणा वारणे उभा छे." पछी राजाए रजा आपी एटले द्वारपाल तेने तुरत सभामां तेडी लाव्यो. // 226 // राजानी आगल देदीप्यमान रत्नमय भेट मूकीने पछी अमन्यमाने जनके, महाक्यमतिःखिता // सुप्ता पल्यंकतः के प्योनीतास्म्यत्र कॉननेश्५३ / / प्रियस्य दर्शनेनाद्य, सर्व नव्यमजायत // श्रुत्वेति मुंदितो गूंपस्तां हित्वा गृहं ययो व विवाह्या कन्ययमदत्ताजनकादिनिः॥ इति चिंतयति मापे, प्रतिहारो व्यजिझपत् 225 मंत्री सिंहलराजस्य,ारे तिष्टेति वारितः॥ नूपेनोक्तेन तेनाशु, से नीतः सनांतरे 226 स्फुरत्नमयं मुंक्त्वा,प्रानृतं नृपतेःपुरः मंत्री समानितोऽत्यतं,निविष्टो योग्यविष्टरे॥२७॥ कथं यूयं समायाताः,सिंहलदीपवासिनः॥इति पृच्छति पाले, से जंगौ शेणु कौतुकम्श अस्माकं स्वामिनःपुत्री,रत्नमालानिधानतः॥ सा केनापि हता तेन,नृपतिः:खितोऽनवत् // स्वप्ने केनाप्योदिष्टैस्त्वत्पुत्री हस्तिनापुरोगमुक्तास्ति मंत्रिणं प्रेक्ष्य,विवाह्या गुणवर्मणा 230 राजाए अत्यंत सन्मान करेलो ते मंत्री योग्य आसन उपर वेठो // 227 // पछी " सिंहलद्वीपमा रहेनारा तमे केम आव्या छो ?"एम भूपतिये पूछयु एटले मंत्रीये कह्यु. " महाराज ! कोतक मांभलो. // 228 // अमारा राजाने रत्नमाला नामनी पुत्री छे, ते कोईथी हरण कराइ छे; तेथी अमारो राना दुःखी थयो छे. // 229 // पछी कोईये पण स्वप्नामां राजाने कह्यु के, " रहारी पुत्री हस्तिनापुरमा मूकी छे. माटे मंत्रीने मोकली तेने गुण Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036439
Book TitleGunvarma Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Hathishang
PublisherMaganlal Hathishang
Publication Year1902
Total Pages242
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size300 MB
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