________________ चरित्र P.P.A. Gunratnasuti MS कहुं छु. // 196 // एम कहीने व्यंतर मौन थये छते ते स्त्री पुरुष हर्षथी पोताना घरे आव्यां, जेथी सर्व कुटुंब हर्ष पाम्यु.॥ 197 // ते अवसरे धनावह शेटे धनदत्तने घरनो भार सोपी पोते भावथी दीक्षा लई माहेंद्र देव॥१५॥ लोकने विषे देवता थयो. // 198 // पछी कोई दिवसे धनदत्ते आ वनमां प्रासाद कराव्यु अने तेमां श्री पा र्थनाथ प्रभुने स्थाप्या. तेनो अधिष्टापक व्यंतर देवता थयो. // 199 // श्रेष्ट भक्तिवान् एवो ते धनदत्त शेठ ते प्रासादने विषे हमेशां सत्तर प्रकारी पूजाये करीने श्री पार्श्वनाथ प्रभुने पूजवा लाग्यो. // 200 // पछी धनद त्युिक्त्वा ध्यंतरे मौनत्नाजितौदंपतीमुँदा // स्वीयं सँग संमायातौ, सर्व है ष्टं कुटुंबकम् १ए * तत्पिता संमये तैस्मिन् , नारमारोप्य नावतः // दीदां हित्वा माहेश्देवलोकेसुरोऽनवत् // अंकारयानोऽन्यैद्युःप्रासादमिह कानने // स्थापितः पार्श्वदेवश्चाधिष्टांता व्यंतरोऽनवत् ॥१ए। प्रकारैः सप्तदशनिः, स श्रेष्टी श्रेष्टेनक्तिनाक // श्रीपार्श्व पूजयामास,प्रासादे तत्र सर्वदा 200 धनदत्तस्य कांतानां,तिसृणां च पॅथक प्रयक // चत्वारो नंदना जाता श्चतुर्थी पंचें जैझिरे 201 देत्तश्चैवसुदत्तच, सुदत्तश्चितनंदनः लँदमीधरो धनेशर्थ, धननायो धनेश्वरः // 2 // कनकः कनकानच, हेमनो हेमवर्णकः॥ "श्रीदःश्रीदत्त शंखाचं, धोधोरौन्निधस्तथा // एवं सप्तदशानूवंस्तैनयास्तस्य विश्रुताः // समये स प्रियःसोऽथ, 'प्रेपेदे संयमश्रियम् // 4 // प्रेपाट्य निरैतिचारं, चारु चारित्रमुज्वलम् ॥सप्रियोऽनशनात्प्रांते, सौधर्मे स सुरोऽन्नवत् // चनी त्रण स्वीयोने जूदा जूदा चार चार पुत्रो थया अने चोथी रत्नपालाने पांच पुत्रो थया. // 201 // 1 दत्त, 2 वसुदत्त, 3 मुदत्त, 4 चित्तनंदन, 5 लक्ष्मीधर, 6 धनेश, 7 धननाथ, 8 धनेश्वर, 9 कनक, 10 कनकाम, 11 हेमांभ, 12 हेमवर्णक, 13 श्रोद, 14 श्रीदत्त, 15 शंख, 16 धर्म अने 17 धीर. // 202-203 // ए प्रमाणे तेने प्रसिद्ध सत्तर पुत्रो थया. पछी प्रिया सहित ते धनदत्ते अवसरे चारित्रलक्ष्मीनो आदर करयो. / // 204 // अतिचार विना मनोहर उज्वल चारित्र पालोने प्रियासहित ते धनदत्त अंते अनशनथी सौधर्म दे Jun Gun Aaradhak Trust // 15 //