SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 234
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ गुराण चरित P.P.AC.Guntainesun XX गुरुना आवां वचन सांभलो रत्नश्री जातिस्मरण ज्ञान पामी, तेथी ते पोताना मिथ्यात्वनी निंदा करती छती सम्यक्त्व पालवा लागी.॥५४॥ व्यंवरदेवे पण ते बात जाणी हथोत्यां आवी नाट्य करीने मुनि पास // 11 // सम्यक्त्व अंगीकार करयु.॥ 547 // रत्नसिंहोऽपि पप्रन, निजं पूर्वनवं गुरुन् // ते प्रोचुः श्रूयतामस्ति, हस्तिनागपुरं पुरम् एवज श्रेष्टयत्र धनदत्तोऽनूत्तस्य धीरान्निधःसुतः॥ श्री जिनेंस्य पूजायां, नाट्यपूजामुना कृता ५४ए रत्नसिंहे पण गुरुने पोतानो पूर्वभव पूछयो, तेथी गुरुए कह्यु. सांभल. हस्तिनागपुर नाम नगर छे. 548 ए नगरमां धनदत्त नामनो शेठ रहेतो हतो, तेने धीर नामनो पुत्र हतो. ए पुत्र श्री जिनेश्वरनी पूजामा नाट्य पूजा करी हती. // 549 // तळोवस्त्वमन्नूशजकुले राज्यं च लप्स्यसे॥ नाट्यपूजाविशेषण, व्यंतरो नाट्यकृत्तव॥५५॥ श्रुत्वेवं वनवं रत्नसिंहो जातिल्परोऽनवत् // विशेषादार्हतधर्म, प्रपेदे मुनिसंनिधौ // 551 // . ते धीरनो जीव तुं आ राजकुलमा उत्पन्न थयो छे. नाट्यपूजाना विशेषथा व्यंतरे त्हारो पासे नाट्य करयुं हतुं. वलो तुं राज्यने पामीश. // 550 // रत्नसिंह आ प्रमाणे पोतानो पूर्वभव सांभली जातिस्मरणज्ञान * पाम्यो, तेथी देणे मुनि पासे विशेषे अरिहंत धर्म आदरयो. // 551 // मुनि नत्वा गृहं गत्वा, दत्वा राज्यं स्वसूनवे // गुरोःसंप्राप्तवैराग्यो, जयदेवोऽग्रहीवृतम् 555 प्रियान्यां सहितः पुण्य-कर्त्तव्येषु परायणः॥ रत्नसिंहोऽय नूपालस्तत्र राज्यमपालयत् 553 पछी युनिने नमी, घरे जइ अने पुत्रने राज्य आपी वैराग्यवासीत एवा जयदेव राजाए गुरु पासे चारित्र लीधुं. पछी बन्ने स्त्रीयोसहित अने पुण्यकार्यमां तत्पर एवो रत्नसिंह राजा राज्य करवा लाग्यो. // 553 // अन्यदा न्यस्य राज्येऽसौ, पुत्र रत्नप्रियान्निधम् // तेषामेव गुरुणां स, पार्श्वे संयममग्रहीत् // * प्रपल्य निरतिचारं, चारु चारित्र मुज्वलम् // ग्रहीतानशनः प्रांते, सौधर्मे त्रिदशोऽलवत्॥ Kkkk Jun Gun A KXXXX*****KKK chat Trust
SR No.036439
Book TitleGunvarma Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Hathishang
PublisherMaganlal Hathishang
Publication Year1902
Total Pages242
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size300 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy