________________ PP.AC.Gunratnasun M.S. AAAAXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXX= पछो प्रतोहारीये आ प्रमाणे कडं. " हे विद्याधरो ! सांभलो. वली मनोहर वाणीवाली कन्या प्रतीझा लोकने आ प्रमाणे बोली. // 207 // जे पुरुष वोणामां अथवा गायनमां मने जोतशे ते विद्याधर अथवा बाजो गमे ते हो; परंतु तेज म्हारे वरवा योग्य छे" // 20 // श्रुत्वेति शक्तिः कस्यापि, न तां जेतुं खगेष्वनूत् // नीचैर्मुखतया नीता, वधूत्वं ते स्वयं तया॥ * मित्रेण प्रेरितःप्रोचैर्गीतप्रियस्तदावदत् // मुग्धेऽहं गर्वसर्वस्वं, कणादपनयामि ते // - गंधर्वमालानां आवां वचन सांभलो विद्याधरोमां कोइनो पण ते कन्याने जीतवानो शक्ति थइ नहि, तेथी * कन्याए करीने ते राजाओ पोते न नीचुं मुख राखीने बेसी रहेवाने लीधे वधु (वहु) पणुं पाम्या. // 20 // ते वखते मित्रनी रजाथी गीतप्रिय उंचा शब्दथी बोल्यो के, " अरे मुग्धे ! हुं त्हारा गर्वरुप सर्व धनने क्षणमात्रमा नाश करूं छु. // 210 // वादयस्व स्वयं वीणां, गीतगानपुरःसरम् // ततोऽहमपि तत्कुर्वे, ज्ञायते कौशलं यथा॥११॥ मत्तेव नारती देवी, वोणामादाय सा ततः // जगौ गीतं गुणैः स्फोतं, रंजितः सकलो जनः तं पोतेज गीतगानपूर्वक वीणा वगाड. पछी हुं पण तेमज करुं के, जेथी कुशलपणुं जणाय. // 211 // पळी ते गंधर्वमाला मृत्तिवंत सरस्वती देवीनी पेठे वीणाने लइन गुणाथा प्रगट एवा गीतने गावा लागी. जेपी सर्वे माणसो प्रसन्न थया. // 212 // गीतप्रियोऽपि मित्रेण, दत्तां वीणामवादयत् // इयं गर्भवती वीणेन्युनवा लोकमहाशयत // | लोकैःकथमिति प्रोक्ते,स प्रोचे कर्करोऽत्र यत् // आदौ शुष्यति वीणाया दंडमध्ये स्थितोऽस्तिनो गोपिय पण मित्रे आपेली वीणाने वगाडवा लाग्यो. वली तेणे " आ वीणा गर्भवाली छे" एमको लोकने इसाव्या. // 213 // लोकोए " एम केम ? " एम कहुं एटले तेणे कडं के, "हे लोको ! आमा करो छे, जेथी प्रथम वीणामां घसाय ने अने ते वीणाना दंडनी मध्ये रहेलो छे. // 14 // Jun Gun Aaradhak Trust