________________ P.P.A. Gunratnasun MS RXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXX ज्वल बुद्धि पण आश्चर्यकारी छे !!! // 199 // हुं प्रसन्न थयो छ, माटे माग. हुं तने वांछित आपुं." कुमार कह्यु. आ शून्य सर्व नगर वसावी आप." // 20 // तत्पुरं वासयामास, स्थापयामास तं प्रनुम् // तवृत्तं झोपयामास, तत्पितुर्थ से रोक्षसः 501 पित्रा स्वमंत्रिणं प्रेष्याकोरितो लेखपूर्वकम् ॥राज्यस्य सूत्रणां कृत्वा, कुमारःस्वपुरं ययौ // पछी ते राक्षमे ते नगरने वसावो आप्युं, तेमज ते लक्ष्मीधर कुमारने तेनो राजा करयो अने तेना पिताने ते सर्व वात जणावी. // 201 // पछी पिता श्रोधर राजाए पत्र सहित पोताना प्रधानने मोकलीने तेडावेलोर कुमार राज्यनु रक्षण करीने पोताना नगरे गयो. / / 202 // पुरं प्रविश्य सोत्साहं, पितृपादाननाम संः // ऑलिंग्य जनकापुत्रं, पंच सकलां केथाम् // . अन्यदा तंत्र संप्राप्ताः, श्रीसिंहव्रतसूरयः॥ तानंतु संसुतो नूपो, ययौ नक्तिनरोद्धुरः॥ 20 // ___कुमारे उत्साह सहित नगरमा प्रवेश करीने पिताना चरणमां प्रणाम करयो. पिताए पण पुत्रने आलिंगन करी सर्व वात पूछी. // 203 // कोइ वखते ते श्रावस्ती नगरोमां श्री सिंहवतसूरि आव्यो एटले महाभक्तिवंत एवो पुत्र सहित राजा तेमने वंदन करवा गयो. // 20 // श्रुत्वोपदेशं पंप्रड, पुत्रन्नाग्यस्य कारणम्॥ मुनिः पूर्वन्नवं प्रोचे, नगरे हस्तिनापुरे॥५॥ श्रेष्टिनो धेनदत्तस्य, धननासुतोऽन्नवत् // जि पूजामुना चक्रे, बांधवैः सँह संमंदात् // त्यां तेणे धर्मोपदेश सांभली पुत्रना भाग्यनु कारण पूछयु एटले मुनिये पूर्वभव कह्यो के, हस्तिनापुर नगरने विपे धनदत्त शेठने धननाथ नामनो पुत्र हतो. ए पुत्रे पोताना बंधुओ सहित हर्पथी जिनराजनुं पूजन करथु हतुं // 205 // 206 // जिनपूजाप्रत्नावेण, राज्यं लब्धं महाद्भुतम् // वर्णिकाणां विशेषेण, यत्फलं तच्चे कथ्यते // एष कृत्रिमपुष्पाणि, राक्षसाय तदा न्यधात // अकृत्रिमाणि जातानि, वर्णकस्य विशेषतः॥ Jun Gun Aaradhak Trust