________________ द्विपृष्ट सान्वय चरित्रं भाषांतर // 40 // // 40 // RRRRUAROSACSA देखावा लाग्यां. (अथवा लक्ष्यते जवा लाग्या.)॥३३॥ कुधारुणमुखौ श्यामौ बाणपञ्जरमध्यगौ / जग्मतुः केलिकीरत्वं वाग्मिनो तो जयश्रियः // 34 // अन्वयः-क्रोध अरुण मुखौ, श्यामो, वाण पंजर मध्य गौ, वाग्मिनौ तौ जय श्रियः केलि कीरत्वं जग्मतुः // 34 // अर्थः-क्रोधथी लाल मुखवाळा, श्याम कांतिवाळा, तथा वाणोरूपी पांजरांमां रहेला, अने वाचाल एवा तेओ बन्ने जयलक्ष्मीना क्रीडा करवाना शुकपणाने पाम्या. // 34 // तुल्योद्यमबलौ तुल्यकृतिप्रतिकृतिक्रमौ / तो तुल्यलक्षणौ वीक्ष्य भन्नाशोऽभूत्पराजयः॥ 35 // __ अन्वयः-तुल्य उयम बलौ, तुल्य कृति प्रतिकृति क्रमौ, तुल्य लक्षणौ तौ वीक्ष्य पराजयः भग्न आशः अभूत् // 35 // . 4 अर्थः-सरखा उद्यम अने बलबाळा, सरखा कार्य अने प्रतिकार्थना अनुक्रमवाळा, तथा सरखां लक्षणोवाळा तेओ वन्नेने जोइने 8 & पराजय तो निराश थइ गयो, // 35 // स्वयं जयश्रियैकैकबाहुनालिहिताविव / केन केन महास्त्रेण चक्रतुर्विक्रमं न तौ // 36 // अन्वयः-जय श्रिया एक एक बाहुना आलिंगितौ इव , तौ केन केन महास्त्रेण विक्रमं न चक्रतुः // 36 // अर्थ:-जयलक्ष्मीए (पोताना) एकेक हाथथी जाणे पाडेला होय नही. एवा तेओ वने कयां कयां महान् शस्त्रथी प.तार्नु पराक्रम न फोरववा लाग्या? // 36 // SACARECRPORARE P.P.AC.Gunratnasur M.S. un Gun Aaradhak Trust