________________ द्विपृष्ट सान्वय चरित्र भाषांतर // 12 // // 12 // Rॐॐॐॐ 4 ठीक, एम इच्छवा लाग्या. / / 36 / / .. अपमृत्यापमृत्याशु प्रधावद्भिर्विरोधिषु / वीरैर्जयश्रियोऽपूरि दोलाकेलिकुतूहलम् // 37 // .. अन्वयः-अपसत्य अपमृत्य आशु विरोधिपु प्रधावद्भिः वीरैः जय श्रियः दोला केलि कुतूहलं अपूरि. // 37 // अर्थः-पाछा हठीने हठीने एकदम शत्रुओपर त्रुटी पडता शूरवीरो जयलक्ष्मीनी हीडोलापर झूलवानी क्रीडाना कुतुहलने संपूर्ण करवा लाग्या. // 37 // तुल्य एव प्रबलयोरित्यभूद्दलयोर्जयः / बाह्वोर्बाहुधनस्येव मिथः संधृत्य कर्षतोः 38 // ___ अन्वयः-बाहु धनस्य मिथः संधृत्य कर्पतोः वाहोः इव, प्रबलयोः बलयोः इति तुल्यः एव जयः अभूत. // 38 // अर्थः–बाहुबलने धारण करनारा योद्धाना परस्पर पकडीने खेंचाता बन्ने हाथनीपेठे ते वन्ने बलवान सैन्योनो एरीते सरखोज विजय थयो. // 38 // गर्वात्सर्वाभिसारेण प्रतेने पर्वतस्ततः / उत्तिष्ठमानो मानोमिमुक्तमेवारिवारिधिम् // 39 // .. अन्वयः-ततः गर्वात् सर्व अभिसारेण उत्तिष्ठमानः पर्वतः अरि वारिधि मान ऊर्मि मुक्तं एव प्रतेने. // 39 // अर्थः-पछी गर्वथी सर्व प्रकारना धसाराथी उठेलो पर्वत राजाए शत्रुओरूपी महासागरने अभिमानरूपी मोजांओथी रहित कयों. रेजेऽस्त्रैः खण्डशः कुर्वन्वैरिवीरान्पशूनिव / तेजोऽग्निं ज्वालयन्कालः स्वयंपाकव्रतीव सः // 40 // P.P.AC.Gunvatmasur.M.S. Alun Gun Aaradhia Trust