________________ धर्मः / स्मर्तव्याहं विशेषतः // 32 // युग्मं // से इत्युक्त्वा सा गता देवी। निजस्थानं सुलोचना // दूरादेव कुमारेण / दृष्टमेकं सरोवरं // / | // 33 // गत्वा तत्रांजिते नेत्रे / ब्रांतः पाव्यां समंततः // दृष्टानि च निधानानि / संजातो हृदि ए निश्चयः // 34 // ततश्च तत्सरो दृष्टं / पद्मखमविराजितं // स्फटिकाकाशशुभ्रानिः / शिलानिधि नित्तिकं // 35 // नानारत्नशिलासार्थी-चितसोपानपंक्तिकं // कलकूजितवित्रांत-शकुंतगणसंकुलं / / 36 // शुनादनपयःपूर्ण / कलोलालिविराजितं // घनपल्लवसबायं / लतामंडपमंमितं / / // 35 // त्रिनिर्विशेषकं / प्रविश्यांतःकृतस्नानो / लोचनदालितांजनः // पयः पीत्वा समुत्तीर्णः / वर्णसुंदरनंदनः // 30 // सरोवरसमासन्ने / नद्याने गुणसुंदरे / / शिष्यसंघसमायुक्ताः / सूरयो म. तिसागराः // 30 // सागरादपि गंजीरा / मेरोरपि गरीयसः॥ पूर्णाः परमरूपेण / इपयंतो रुचा विधुं // 40 // नानातिशयसंपन्नाः / सर्वसत्वहितावहाः // धर्मध्यानसमारूढा / रागद्वेषविवर्जिताः // // 1 // जामत्रिदंडसंचाराः / कषायकषणोद्यताः // शानदर्शनचारित्र-रत्नत्रयविराजिताः // 4 // | हृषीकाणां विजेतारो / जीवानां जननीसमाः // जयस्थानैर्विनिर्मुक्ता / मदाष्टकविवर्जिताः // 43 // P.P.AC.Gunratnasur M.S. Jun Gun Aaradhak Trust