________________ धर्म- युग्मं // निदाभोगी गतस्त्रानो / रुददेहो महीशयः॥ यत्याचारधरो धीरः / परं नियमवर्जितः / / // 21 // विधिरेवोन्नतिं नीत्वा / निपातयति देहिनं / एकजन्मनि जीवानां / दर्शयति दिजन्मतां // // अन्यस्मिंश्च दिने सुप्तो / दृष्टोऽयं रत्नमालया // वटस्याधो महाटव्या-मेकाकी रत्नसुंदरः // 23 // स्पृष्टः पादतले मात्रा / प्रबुधश्च ससंभ्रमः // गाढं कंठग्रहं कृत्वा / मुक्तकंठं रुरोद सा // 24 // कथं पुत्र महाटव्या-मेकाकी त्वं समागतः // वृत्तांतः कथितस्तेन / परावृतिसमुनवः // 25 // जोजितो नोजनं नव्यं / पायितो निर्मलं जलं // विलिप्ताशेषगात्रश्च / चंदनेन सुगंधि| ना // 26 // कर्पूरपूरसन्मिश्रो / दत्तस्तांबुलबीटकः // स्वस्थावस्थः सुखासीनः / कुमारः स्वस्थचेत नः॥२७॥ पप्रड कुशलं मातुः। कुतस्तेऽत्र समागमः // प्रोवाच वत्स जाताहं / मृत्वा नाना सु. | लोचना // शन / / यदिणी जगति ख्याता / क्रीमंतीह समागता // जवदर्शनसंत्रांता / संप्राप्ता च तवांतिकं // 25 // युग्मं // स नीतश्च तया तूर्णे। विधाय करकुद्मने / पुरे पुस्मितालाख्ये / उत्तराशाशिरोमणौ / / 30 // निधानानि समस्तानि / करस्थानीव पश्यति // अनेनांजितनेत्रो हि | / पुरुषों मेदिनीतले // 31 // तदिदं दृष्टसामर्थ्य / करस्थं कुरु पुत्रक // चूयोऽपि व्यसने वत्स / P.P.AC.GunratnasuriM.S. Jun Gun Aaradhak Trust