________________ धर्मः | हाजः / विक्रमाक्रांतनिःशेष-महीपालनतक्रमः // // सवृत्तेन कुलं यस्य / यशोनिः शी लमुज्ज्वलं // शरदभ्रनिभैः कांतै-र्गुणै रूपं च पप्रथे // 10 // तस्याजनि जनी देव-पादपं. कज गिका // नि/तस्वर्णवर्णाना / रत्नमालेति विश्रुता // 11 // सर्वातिशायिशब्दादि-विषयास्वादनिष्टयोः॥ याति कालः सुखेनैव / निबिडस्नेहयोस्तयोः // 12 // अन्यदा सुंदराकारः। शुभस्वप्नेन सूक्तिः // जातस्तयोर्जनानंदी / तनयो रत्नसुंदरः // 13 // हासप्ततिकलावेदी / संजा तः खल्पवासरैः / / मृता माता कुमारस्य / पिता स्नेहेन पश्यति // 15 // सपन्यो मातरः सर्वाः / प्रतिकूलाः समत्सराः // परिवारोऽप्युदासीनः / सर्वोऽपि कुमरंपति // 15 // ____ अन्यदा देशपर्यते / कनककेतुमिपः // स्वर्णसुंदरपस्य / न सेवां प्रतिपद्यते // 16 // याज्ञानंगे समुत्पन्ने / दृतवचनफूत्कृतः // स्वर्णसुंदररूपस्य / दिदीपे कोपपावकः // 17 // स च. चाल महादेषा-चतुरंगबलान्वितः / / गत्वा च तं विनिर्जित्य / वलितः सत्वरैः पदैः // 17 // कुमारोऽपि परावृति-दुःखदुःखितमानसः // निशीथे नक्कमेकाकी। सखकोऽलक्षितो जनैः // 19 // उत्तरायणसंक्रांतौ / मंदतेजाः शनैः शनैः // सुवृत्तः कनकबायः / सवितेव चचाल सः // 20 // / P.P.AC. Gunratnasiri M.S. Jun Gun Apladhak Trust