________________ धर्म- त्वया // 7 // मृत्वा चेह समायातो / रत्नशेखरमंदिरे // यत्पूजोपार्जितं पुण्य-मुदीर्णमिह तेऽ. | धुना // 7 // तो देवगतिं गत्वा / त्वा च नृपनंदनः // विधाय निर्मलां दीदां / गंता त्वं शा. श्वते पदे // 7 // श्रुत्वेदं रंजितो राजा / धर्मेऽत्यंत स्थिरोऽभवत् // नत्वा सूरिं गतो गेहे। श्रा वकत्वमपालयत् // 10 // इति पुष्पपूजाकथानकं समाप्तं // श्रीरस्तु // पुष्पपूजाफलं प्रोक्तं / स्वर्गमोदप्रसाधकं // सांप्रतं गंधपूजायाः / फलं शृणुत कथ्यते // 1 // समस्ति सर्वदेशानां / सारन्तो महीतले // बंगाजनपदो नाम्ना / पदं निःशेषसंपदां // 2 // रत्नादिखनिनियत्र / दरंतीगिर्वरं वमु // जनर्षिहेतुन्तानि-यथार्था सा वसुंधरा // 3 // बंगाजनप दे तस्मिन् / नगरं रत्नसंचयं // निवासः सर्वरत्नानां / रम्यं जनमनोहरं // 4 // रराज यत्सदाकालं / सदंतैर्मत्तवारणैः / / सद्गृहैश्च समुत्तुंगैः / सदंतैर्मत्तवारणैः // 5 // हिरदेषु मदो यत्र / धा. तूनां सोपसर्गता // निपातनं च शब्देषु / कुचेषु करपीमनं // 6 // विजिह्वता जंगेषु / परचिंता च योगिनां // वनितोदरेषु तुबत्व-मोष्टेष्वधरसंगवः // 7 // बव तस्य देशस्य / नगरस्य च | शासिता / राजा सर्वजनानंदो / नाना कनकसुंदरः / / 7 // अचिंत्यशक्तिसंयुक्तो / गुरुतेजा म. / P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust