________________ ए धर्म- एष एव महामोह-वृदोबेदकुगरकः // एष एव महानिद्रा द्रावणप्रतिबोधकः // 4 // एष एव का गुरुकोध-वह्निविध्यापने जलं // एष एव महामान-पर्वतोद्दलने पविः // 5 // एष मायाकुमं. ग्याश्च / दहने दवसन्निभः // एष लोजसमुऽस्य / शोषणे वमवानलः // 76 / / मत्वेदं शुजनावे. | ना कर्तव्यं जिनपूजनं / / ततः पूर्णविधानेन / विशुद्ध चैत्यवंदनं // 7 // परमेष्टिनमस्कारो। ध्यातव्यस्तदनंतरं // एकसंध्यं दिसंध्यं वा / त्रिसंध्यं वा विधानतः // 7 // अष्टावष्टाधिकं वापि / | शतं वारान जपेदमुं // एकचित्तेन पावेन / प्रत्यहं विजनस्थितः / / नए // ॐनमोऽर्हत इत्यादि / खाहांतं पदमुच्चरन् / मुंचन पदे पदे पुष्पं / सर्वच्छ खैर्विमुच्यते // 70 // अंगानंगप्रविष्टं हि / श्रुतं व्याप्य व्यवस्थितः // एष एव महातत्वं / कथितस्तत्ववेदिभिः // ए१ // शेषश्रुतं परित्यज्य / मरणे समुपस्थिते // एष एव बुधैर्ययः / कर्मनिर्मूलनाकृते // 7 // यदि भक्तिनमस्कारे / श. क्तिः संसारलंघने / अंजक्तिश्चेन्नमस्कारे / न शक्तिर्नवलंघने // 73 / / ऐहिकानि फलान्यस्य / प्रसिघानि पदे पदे // कियंति तव कथ्यते / जानाति यदि केवली // 4 // किंचात्र ये महा| पापा / निर्जाग्याः पुरुषाधमाः / न पढ़ते नमस्कार / न चापि बहु-मन्वते // 55 // य एव ना. / P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust