________________ धर्मः कारितं च तया साधू / पाणिग्रहणमंगलं // कुमाररत्नचंद्रस्य / खेचरेण प्रमोदतः // 4 // | दत्तं च मेघनादेन | धनदेवेन पुष्कलं / धनं कनकमंजर्या / लदशः कोटिशोऽपि वा // 10 // ददौ च रत्नवस्त्रादि / कुमारायापि खेचरः // ततो गतो निजे गेहे / तामादाय कुमारकः // 11 // सस्नेहं दृश्यमानोऽसौ / हेमचंण नूलुजा // धास्ते तत्र प्रमोदेन / कांतात्रयसमन्वितः / / 5 // रत्नचंडकुमारेण / विनम्य जाणितो नृपः // सांप्रतं तात गहामि / पश्यामि पितरौ निजौ // 53 // हेमचंऽनरेंण / विमानं प्रगुणीकृतं // मृतं च भूरिरत्नानां / मुक्तानां वरवाससां // 14 // युष्मानिर्यददत्ता मे / ऊढा मदनमंजर / / तत्तात मर्षणीयं मे / संतो हि नतवत्सलाः // 15 // कां. तानिः संहितस्तत्र / विद्याधरगणान्वितः // रत्नचंद्रः समारूढो / विमानं चलितं ततः // 26 // कणादेव च संप्राप्तं / पुरे विजयवर्धने // रत्नशेखरजपस्य | तत्रापि वरमंदिरे // 27 // अवतीर्णः कृतातिथ्यो / रत्नशेखरजूलजा // विद्याधरजनः सर्वः / कुमारेण विसर्जितः ॥रजा युग्मं पितुः पाद ग्रहं कृत्वा / प्रणतो मातृपादयोः // लब्धाशी राजधानां / यथायोग ननाम सः // 55 // वयो. ऽपि च यथाज्येष्टं / प्रणेमुर्गुरुपादयोः // दत्ताशिषश्च ताः श्वश्वा / निषेदुः पादयोः पुरः // 6 // PP.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust