________________ धर्म- / वल्लानां रत्नमेखला // 37 // मेघनादेन सानंदं / नृत्यंती रत्नमेखला // दृष्टा मनःप्रविष्टा च / हृ| त्वा नीता च पर्वते // 30 / / वसंतसुंदराबाने / जरनि:रसंकुले // नानावृतासमाकीणे / गुहाकूटसमाकुले // 35 // ततः संजातखेदेन / हेमचंजेण सादरं // स्मृता विद्या तया सर्वः / वृत्तांतोऽ. स्य निवेदितः // 40 // स्थाने स्थाने ततस्तूर्ण / साम! रत्नचंद्रकः // निषेध्य गलतः सर्वान् / विद्याधरमहानटान् // 41 / एकाकी खामादाय / वार्यमाणोऽपि खेचरैः / / चचाल विकटैः पादैः / खासत्वसमन्वितः // 42 // वसंतसुंदरे प्राप्तो / गिरौ दृष्टश्च खेचरः // मेघनादो रुदंती च / स. शोका रत्नमेखला // 43 // समाकृष्य ततः खऊ / रे रे नव पुरो मम // प्रजटपन मेघनादस्य / तुमन्यर्णमागतः // 44 // लमं ततस्तयोर्युकं / मत्तहिरदयोखि // परस्परं महाघोर-मतीवानि. धचित्तयोः // 45 // जित्वा दणेन तं कृत्वा / प्रहारशतजर्जरं / गृहीतमायुधं तस्य / कुमारेण ब. लादपि // 46 // ततः संरोहिणीयोगा-प्रहारास्तस्य तत्क्षणं / संरोहिताः कुमारेण / खेचरः प्रगुणोऽनवत् // 4 // ततस्तस्मै वसा स्वीया / मेधनादेन सादरं // तत्रैवानीय संक्षेपा-दत्ता कनकमंजरी // 4 // . . Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC.Gunratnasuri M.S.