________________ धर्म-निरंजनः // 14 // त्रिभिर्विशेषकं // चिरं चालोकि पूजादि / निर्निमेषेण चकुषा // तनूकृतो नवांनोधिः / संजाता चित्तनिवृतिः // 15 / / योन्यस्ततः पश्यन् / स्निग्धदृष्ट्या जिनाननं / / प्रेदामंडपमागत्य / निषणो वरविष्टरे | // 16 // अत्रांतरे सशृंगारा / सर्वलोकमनोहरा // अष्टादशाब्ददेशीया / नर्तिता रत्नमेखला // // 17 // आदिप्तश्च जनः सर्वः / शिरांसि च धुनापितः / अहो नृत्यकला काचि-दपूर्वात्र वि. लोकिता // 17 // ततः प्रनर्तिता हाव-भावसारं ससंत्रमं // हेमचंद्रनरेंद्रस्य / सुता मदनमंजरी // 15 // तयापि रंजितो लोको / गुणग्राही विनिर्मितः॥ गता सा नृत्यपर्यते / तत्रस्थपितुरंति के // 20 // हेमचंद्रनरेंजेण / स्नेहसारं ससंभ्रमं // संतोषामृततृप्तेन / पृष्टा मदनमंजरी // 21 // वत्से कथय मे सर्व / विस्मयो मम वर्तते // क नीता केन चानीता / त्वया किं वान्वयत // // 2 // तयापि मूलतः सर्व / यथावृत्तं निवेदितं // मद्गृहे च त्वदाकारा / त्वदावाना च कन्यका // 23 // दणे क्षणेऽन्यथाकारा / नटीवाश्चर्यकारिणी // सा का कथय मे पुत्री / यदि त्वं मदनमंजरी // 24 // तयोक्तं न विजानेऽहं / तात तत्वं शरीरिणां // त्रुरिधूर्तसमाकीर्णा / नानाः / P.R.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust